सूर्य सप्तमी व्रत | Surya Saptami | Importance of Surya Saptami Fasting - Surya Saptami Fasting in Hindi
सूर्य सप्तमी व्रत माघ माघ की शुक्ल पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है. वर्ष 2011 में यह व्रत 10 फरवरी के दिन किया जायेगा. इस दिन सूर्य भगवान को गंगाजल से अर्ध्य दान देने से कल्याण प्राप्त होता है. इसके अतिरिक्त इस दिन व्रत करने के बाद सूर्य को दीपक, कपूर, धूप, लाल पुष्प आदि से स्तुति पूजन किया जाता है. सूर्य की किरणे हमें स्वस्थ बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. वैज्ञानिको के अनुसार सूर्य किरणों से किटाणु का नाश होता है. और शरीर को विटामिन डी की प्राप्ति होती है.
इसके अतिरिक्त सूर्य की और मुंह कर उपासना करने से चर्मरोगों के विकार दूर होते है. सूर्य सप्तमी के दिन व्रत कर गरीबों को दान देने से पुन्यफलों की प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य सांतवी राशि अर्थात तुला राशि में आने पर नीच स्थिति को प्राप्त करता है. इस स्थिति में वह अपने सभी फल देने में असमर्थ होता है. जिन व्यक्तियों कि कुण्डली में सूर्य नीच राशि में हों, उन व्यक्तियों को सूर्य सप्तमी का व्रत अवश्य करना चाहिए.
यह व्रत व्यक्ति के शारिरिक स्वास्थय में वृ्द्धि करने के साथ साथ आत्मविश्वास में भी बढोतरी करते है. इस सप्तमी को सौर सप्तमी भी कहा जाता है. सूर्य व्रत के दिन सूर्य मंत्र जाप का विशेष शुभ फल प्रात्प होता है. इस दिन प्रात: सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. सूर्य पूजा और सूर्य आराधना को अपनी नित्यपूजा का अंग बनाने से सूर्य के सभी शुभ फल मिलने शुरु होते है.
इसके अतिरिक्त व्रत के दिन सूर्य की तस्वीर की धूप, दीप और फूलों से पूजा करनी चाहिए. तथा सांय़काल में सूर्य अस्त होने के बाद व्रत समाप्त करना चाहिए. सूर्य को भोग देने के लिये गुड और मीठी चपाती का भोग लगाना चाहिए. इस भोग का कुछ भाग प्रसाद के रुप में बांटना चाहिए. और स्वयं भी इसका कुछ भाग अवश्य ग्रहण करना चाहिए. उपवासक को चाहिए की वह अपने सामर्थय अनुसार गुड, गेंहू का दान करें.