01.यदि जीवन में कोई बहुत बड़ी समस्या आई हुई है और सभी रास्ते बंद हो चुके हैं और आप सुबह जल्दी उठकर पीपल के पेड़ को कुंकुम-चावल चढ़ाकर कहें - "मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि मेरी समस्या का समाधान करें व दूध मिश्रित जल चढ़ाएं। कुछ ही दिनों में आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
02.ज्योतिष में चंद्रमा को मां का रूप माना गया है। कुंडली में चंद्रमा प्रतिकूल होने पर अपनी माता या बुजुर्ग स्त्रयों का आर्शीवाद लेकर ही घर से निकलें। शिव मंदिर में जल चढ़ाना भी विपरीत दोष को दूर करता है
03.अगर आपके पास कुंडली नहीं है और जन्मकुंडली के अभाव में आपकी समस्या का हल नहीं मिल रहा है तो रूद्रावतार भैंरों बाबा को याद करें। किसी भी रविवार से शुरू करके "ओम कालभैरवाय नम:" मंत्र की रोजाना पवित्र मन से कम से कम एक माला नियमित रूप से करें। जल्द ही न केवल आपकी समस्या को सुलझाने का मार्ग मिल जाएगा बल्कि प्रतिकूल ग्रह भी आपके पक्ष में हो जाएंगे।
04.ज्योतिष के अनुसार शनि की दशा या साढ़ेसाती लगने पर मनुष्य का जीवन कठिनाईयों से भर जाता है। यदि आप पर भी शनि की कुदृष्टि है तो इन उपायों को आजमाएं। शनि की अशुभ स्थिति में शनिवार को नीले रंग के कपड़े धारण ना करें। शनि को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी को तिल का तेल, सिंदूर, उड़द और आंकड़े या धतूरे की माला चढ़ाएं।
05.मंगल दोष होने पर भी हनुमानजी की आराधना से कष्टों का तुरंत समाधान होता है। मंगल की कुदृष्टि होने पर रोजाना सच्चे मन से हनुमानचालीसा का पाठ करें और उन्हें सिंदूर का चोला चढ़ाएं।
06 यदि कुंडली में गुरू वक्री हो या खराब फल दे रहा हो तों भगवान विष्णु की आराधना फल देती है। प्रतिदिन विष्णु (अथवा विष्णु अवतार जैसे राम, कृष्ण) मंदिर में जाकर प्रणाम करें। यदि यह भी संभव नहीं हो तो अपने बुजुर्गो तथा गुरूजनों का आर्शीवाद लें
07. कुंडली में राहु आकाश की तरह होता है जो जब फैलने पर आता है तो अनंत हो जाता है। राहु की दशा में मां सरस्वती, हनुमानजी अथवा मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। सबसे बड़ी बात जब भी राहु की दशा हो तो मांस-मदिरा तथा परस्त्री सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए। इससे भी बेहद प्रभावी लाभ मिलता है।
08.केतु की दशा खराब होने पर गजानन गणपति को याद करना सर्वश्रेष्ठ है। गणपति अर्थवाशीर्ष का पाठ करना केतु के कुप्रभाव को दूर करता है।
09. आपकी कुंडली में कोई ग्रह खराब चल रहा हो या न चल रहा हो, आपको हमेशा जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान करते रहना चाहिए। इससे उनकी दुआएं मिलती हैं जो बुरे समय के असर को कम कर देती हैं।