वैदिक ज्योतिष के समान लाल किताब भी भविष्य जानने की एक विधा है.लाल किताब में ग्रहों के योग और उनके फल के सम्बन्ध में अपनी मान्यताएं है.ज्योतिष की इस विधा में भी कालसर्प है और इसका फल एवं उपाय है लेकिन कालसर्प को देखने का नजरिया अलग है.आइये हम भी लाल किताब से कालसर्प को जानें.
लाल किताब (Lalkitab - The astrology wonderbook) कालसर्प को दोष मानता है बल्कि इसे योग मानता है.राहु और केतु विभिन्न खानों में बैठकर 12 तरह के विशेष योग बनाते हैं.जिस प्रकार अन्य ग्रह अलग अलग खानो में बैठकर शुभ और अशुभ फल देते हैं उसी प्रकार राहु केतु भी शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं.ज्योतिष की इस विधा में राहु को सांप का सिर और केतु को उसका दुम माना गया है.कुण्डली में सूर्य से लेकर शनि तक सभी सात ग्रह जब राहु और केतु के बीच होते हैं तब कालसर्प योग बनता है.
लाल किताब के अनुसार जब मंगल और शनि जन्म कुण्डली में एक साथ हों अथवा द्वादश में और चन्द्रमा चतुर्थ भाव में तब राहु अशुभ फल नहीं देता है एवं कालसर्प बाधक नहीं होता है.राहु के अशुभ होने पर दक्षिण की ओर अगर घर का मुख्यद्वारा हो तो आर्थिक परेशानी बनी रहती है.आर्थिक नुकसान और कई प्रकार की उलझनें एक के बाद एक आती रहती है.कालसर्प में इस प्रकार की स्थिति में लाल किताब यह उपाय बताता है कि व्यक्ति को मसूर की दाल अथवा कुछ धन सफाई कर्मी को देना चाहिए.
लाल किताब में ग्रहों के उपाय और टोटकों को विशेष रूप से बताया गया है.राहु केतु से पीड़ित होने पर स्वास्थ्य लाभ हेतु रात को साते समय सिरहाने में जौ रखकर सोना चाहिए और इसे सुबह पंक्षियों को देना चाहिए.सरकारी पक्ष से परेशानी होने पर एवं रोजी रोजगार और व्यापार में कठिनाई आने पर अपने वजन के बराबर लकड़ी का कोयला चलते पानी में प्रवाहित करना चाहिए.केतु के अशुभ स्थिति से बचाव हेतु दूध में अंगूठा डालकर उसे चूसना चाहिए.सूर्य और चन्द्र की वस्तु यथा स्वेत वस्त्र, चांदी और तांबा दान करना चाहिए.
लाल किताब से कालसर्प के उपाय (Lalkitab Kalsarp remedies)
लाल किताब के अनुसार कालसर्प योग में राहु खाना नम्बर एक में हो और केतु खाना नम्बर सात में तब अपने पास चांदी की ठोस गोली रखनी चाहिए.राहु दो में और केतु आठ में तब दो रंगा का कम्बल दान करना चाहिए.तीन और नौ में क्रमश: राहु केतु हो तो चने की दाल नदी अथवा तलाब में प्रवाहित करना चाहिए.सोना धारण करने से भी लाभ मिलता है.चतुर्थ भाव में राहु हो और दशम भाव में केतु तब चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर के बाहर ज़मीन में दबाना लाभप्रद होता है.खाना नम्बर पांच में राहु हो और केतु खाना नम्बर ग्यारह में और सभी ग्रह इनके बीच में तब घर में चांदी का ठोस हाथी रखने से कालसर्प का विपरीत प्रभाव कम होता है.षष्टम में राहु और द्वादश में केतु होने पर कुत्ता पालने एवं बहन की सेवा करने से लाभ मिलता है. सप्तम में राहु हो और प्रथम में केतु तब लाल रंग की लोहे की गोली सदैव साथ रखना चाहिए एवं चांदी की डिब्बी में नदी का जल भरकर उसमें चांदी का एक टुकड़ा डालकर घर में रखना चाहिए.नवम में राहु हो और खाना नम्बर तीन में केतु हो तब चने की दाल बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए.
जिनकी कुण्डली में दसम खाने में राहु हो और केतु चौथे खाने में उन्हें पीतल के बर्तन में नदी या तालब का जल भरकर घर के अंधेरे कोने में रखना चाहिए.एकादश और पंचम में क्रमश: इस प्रकार की स्थिति हो तो 43 दिनों तक देव स्थान में मूली दान करना चाहिए.द्वादश खाने में राहु हो और षष्टम में केतु हो तो स्वर्ण धारण करने से लाभ होता है.