अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो अखंड ब्रह्मांड के आकार में व्याप्त है और जिसने चर और अचर (चल और स्थिर) सबको भर रखा है, उस गुरु के चरणों में मेरा प्रणाम है, जिन्होंने मुझे उस परम तत्व का दर्शन कराया।
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो अज्ञान के अंधकार में फंसे हुए मेरे नेत्रों को ज्ञान रूपी अंजन की शलाका (छड़ी) से खोलते हैं, ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, और गुरु ही महेश्वर हैं। गुरु ही साक्षात् परब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम।
स्थावरं जङ्गमं व्याप्तं यत्किञ्चित् सचराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो स्थावर (अचल) और जंगम (चलायमान), चर और अचर, समस्त जगत में व्याप्त हैं और जिन्होंने मुझे उस तत्व का दर्शन कराया, उन गुरु को प्रणाम।
नित्यानन्दं व्यापि यत्सर्वं त्रिलोक्यं सचराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो नित्य आनंद स्वरूप हैं और जिनकी सत्ता तीनों लोकों में चराचर जगत में व्याप्त है, उस तत्व का ज्ञान कराने वाले गुरु को मेरा प्रणाम।
सर्वश्रुति-शिरोरत्न विराजित पदाम्बुजः।
वेदान्ताम्बुज सूर्यः यः तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो सभी वेदों और उपनिषदों के मणि (रत्न) हैं और जिनके चरण कमल वेदांत के सूर्य हैं, ऐसे गुरु को प्रणाम।
चैतन्यः शाश्वतं शान्तं व्योमतीतं निरञ्जनम्।
नादबिन्दु कलातीतं तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो चेतना के शाश्वत स्वरूप, शांत, आकाश से परे और निर्मल हैं, और जो नाद, बिंदु और कला से भी परे हैं, उन गुरु को प्रणाम।
ज्ञानशक्ति समारूढः तत्वमाला विभूषितः।
भुक्ति-मुक्ति प्रदाता च तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो ज्ञान और शक्ति से सम्पन्न हैं, तत्वों की माला से विभूषित हैं, और भोग और मुक्ति दोनों के दाता हैं, ऐसे गुरु को प्रणाम।
अनेक जन्म संप्राप्त कर्म बन्ध विधाहिने।
आत्मज्ञान प्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो अनेक जन्मों के कर्मबंधन काटकर आत्मज्ञान प्रदान करते हैं, उन गुरु को प्रणाम।
शोषणं भव सिधोश्च घ्यापनं सरसंपदः।
गुरु पादोदकं सम्यक् तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
जो संसार-सागर को सुखा देते हैं और संपत्ति का अनुभव कराते हैं, उनके चरणों का जल पवित्र है। ऐसे गुरु को प्रणाम।
न गुरोरधिकं तत्वं न गुरोरधिकं तपः।
तत्त्वं ज्ञानात्परं नास्ति तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
गुरु से बड़ा कोई तत्व नहीं है, और गुरु से बड़ा कोई तप नहीं है। गुरु ही सर्वोच्च ज्ञान हैं। ऐसे गुरु को प्रणाम।
मन्नाथः श्री जगन्नाथो मद्गुरुः श्री जगद्गुरुः।
ममात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ:
मेरे स्वामी ही जगत के स्वामी हैं, मेरे गुरु ही सबके गुरु हैं, और मेरी आत्मा ही सभी प्राणियों की आत्मा है। ऐसे गुरु को प्रणाम।
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्।
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादि लक्ष्यम्।
एकं नित्यं विमलं अचलं सर्वधी साक्षिभूतम्।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि॥
अर्थ:
जो ब्रह्मानंद के स्वरूप, परम सुखदायक, ज्ञानमूर्ति, द्वंद्वों से परे, आकाश के समान हैं, जो तत्वमसि जैसे महावाक्य का लक्ष हैं, और जो स्थिर, शुद्ध, साक्षी और तीनों गुणों से रहित हैं, ऐसे सद्गुरु को प्रणाम।
नित्यं शुद्धं निराभासं निराकारं निरञ्जनम्।
नित्यबोधं चिदानन्दं गुरुम्ब्रह्म नमाम्यहम्॥
अर्थ:
जो नित्य, शुद्ध, निराकार, और निर्मल हैं, और जो ज्ञान और आनंद स्वरूप हैं, ऐसे ब्रह्मस्वरूप गुरु को प्रणाम।
ध्यान मूलं गुरुर्मूर्तिः पूजा मूलं गुरोः पदम्।
मन्त्र मूलं गुरुर्वाक्यं मोक्ष मूलं गुरोः कृपा॥
अर्थ:
ध्यान का आधार गुरु की मूर्ति है, पूजा का आधार गुरु के चरण हैं, मंत्र का आधार गुरु का वचन है, और मुक्ति का आधार गुरु की कृपा है।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव।
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव।
त्वमेव सर्वं मम देवदेव॥
अर्थ:
हे प्रभु! आप ही मेरी माता, पिता, बंधु, और सखा हैं। आप ही मेरी विद्या, धन-संपत्ति, और सबकुछ हैं। आप ही मेरे परम देव हैं।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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