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Lakshmi Khand from Durga Saptsati with Meaning

 

दुर्गा सप्तसती 


लक्ष्मी खंड 


श्लोक 1

Namaste astu mahaamaye Shree peethe suroopujite
Shankha-chakra-gada-haste Maha Lakshmee Namastute

Salutations to you, Mahamaya abode of fortune, worshipped by gods. Weilder of conch and mace, Mahalakshmi, obeisance to you.

नमस्ते अस्तु महामाये श्रीपीठे सुर्पूजिते

शंख-चक्र-गदा-हस्ते महालक्ष्मी नमस्तुते॥

अर्थ:
मैं महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, जो महाशक्ति के रूप में श्रीपीठ में प्रतिष्ठित हैं, जिनके हाथों में शंख, चक्र और गदा हैं।


श्लोक 2

Namaste garudaarude Kolaasura-bhyankari
Sarva-papa-hare devi Maha Lakshmee Namastute

Saluations, O rider of Garuda, terror of the demon Kola, remove of sins, beloved goddess, Mahalakshmi, obeisance to you.

नमस्ते गरुड़ारूढे कोलासुर-भयांकारी
सर्वपाप-हरे देवी महालक्ष्मी नमस्तुते॥

अर्थ:
मैं महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, जो गरुड़ पर विराजमान हैं, जो कोलासुर का संहार करने वाली हैं और समस्त पापों को हरने वाली हैं।


श्लोक 3

Sarvagne sarvavarade Sarva dushta bhayankari
Sarva duhkha hare devi Maha Lakshmee Namastute

Knower of all, giver of all boons, a terror to the wicked, remover of all sorrows, beloved goddess,Mahalakshmi obeisance to you.

सर्वज्ञे सर्ववरेडे सर्वदुष्ट भयांकारी
सर्वदुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमस्तुते॥

अर्थ:
मैं महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, जो सर्वज्ञानी और सर्वथा वर देने वाली हैं, जो समस्त दुष्टों से भय पैदा करने वाली और समस्त दुःखों को हरने वाली हैं।


श्लोक 4

Siddhi buddhi prade devi Bhukti mukti pradaayini
Mantra murte sadaa devi Maha Lakshmee Namastute

Bestower of intelligence and success, O goddess, bestower of worldly enjoyment and liberation with themantra always as your form, goddess Mahalakshmi, Obeisance to you

सिद्धि-बुद्धि प्रदे देवी भुक्ति-मुक्ति प्रदानिनी
मंत्र-मूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमस्तुते॥

अर्थ:
मैं महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, जो सिद्धि और बुद्धि देने वाली हैं, जो भोग और मुक्ति दोनों को देने वाली हैं, जो मंत्र रूप में सदा विद्यमान हैं।


श्लोक 5

Aadyanta rahite devi Adyashakti maheshvari
Yogaje yogasmbhute Maha Lakshmee Namastute

Without beginning or end, O goddess, primodial energy, great mistress born of yoga, Mahalakshmi,Obeisance to you.

आद्यन्तरहिते देवी आद्यशक्ति महेश्वरी
योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमस्तुते॥

अर्थ:
मैं महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, जो आदि और अन्त से परे हैं, जो आदि शक्ति हैं और महेश्वरी हैं, जो योग के द्वारा उत्पन्न होती हैं।


श्लोक 6

Sthula sukshma mahaaraudre Mahaashakti Mahodari
mahaa papa hare devi Maha Lakshmee Namastute

 In form of the gross and subtle bodies, Rudra’s shakti, source of all, remover of great sins, beloved  goddess, Mahalakshmee, Obeisance to you.

स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ति महोदरी
महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमस्तुते॥

अर्थ:
मैं महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, जो स्थूल और सूक्ष्म रूप में महा रौद्र रूप में हैं, जो महाशक्ति और महोदरी (महान उदारता) हैं, जो महापापों को हरने वाली हैं।


श्लोक 7

Padmaasana sthite devi Parabrahma svarupini
Parameshi jagan mataar Maha Lakshmee Namastute

Seated on a lotus, O godess, true Self of the supreme Brahman, O supreme mistress, Universal mother,mother Mahalakshmi, Obeisance to you.

पद्मासन स्थिते देवी परब्रह्म स्वरूपिणी

परमेशी जगन्मातर महालक्ष्मी नमस्तुते॥

अर्थ:
मैं महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, जो पद्मासन में स्थित हैं, जो परमब्रह्म के स्वरूप हैं और जो जगत की माता हैं।


श्लोक 8

Shvetaambar-dhare devi Naana-alankara bhushite
Jagat-sthite jagan matar, Maha Lakshmee Namastute

Clad in white apparel, O goddess, bedecked with a variety of jewels, supporter of the Universe,universal mother, Mahalakshmi, obeisance to you.

श्वेताम्बर-धरे देवी नाना-अलंकार भूषिते

जगत-स्थिता जगन्मातर महालक्ष्मी नमस्तुते॥

अर्थ:
मैं महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, जो श्वेत वस्त्रों में सुशोभित हैं, जो विविध आभूषणों से आभूषित हैं, जो जगत में स्थिता हैं और समस्त संसार की माता हैं।

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Posted Comments
 
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।"
Posted By:  संतोष ठाकुर
 
"om namh shivay..."
Posted By:  krishna
 
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye"
Posted By:  vikaskrishnadas
 
"वास्तु टिप्स बताएँ ? "
Posted By:  VAKEEL TAMRE
 
""jai maa laxmiji""
Posted By:  Tribhuwan Agrasen
 
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है"
Posted By:  ओम प्रकाश तिवारी
 
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