अहंकार के कारण मनुष्य ईश्वर से दूर हो जाता है। गोपियों में अहंकार आ गया कि श्रीकृष्ण उनसे ही स्नेह करते हैं, इसलिए कन्हैया उनके बीच में अंतरध्यानहो गए। कृष्ण-गोपियों का संबंध जीव-ब्रह्म का संबंध था।
कंस को मारकर श्रीकृष्ण ने मथुरा का राज्य अपने नाना को उग्रसेन को सौंप दिया तथा अपने माता-पिता वसुदेव-देवकी को कारागार से मुक्त किया। वसुदेव-देवकी ने कृष्ण को यज्ञोपवित संस्कार के लिए संदीपन ऋषि के आश्रम में भेजा, वहां उन्होंने 64दिनों में 64कलाएं सीखी।
आश्रम में गरीब ब्राह्मण सुदामा से उनकी मित्रता हुई। दीक्षा के उपरांत कृष्ण ने गुरुमाता को गुरुदक्षिणा देने की बात कही, जिस पर गुरुमाता ने उन्हें कहा कि वह समुद्र में डूबे उसके पुत्र को वापस लाए। गुरुमाता की आज्ञा का पालन करते हुए कृष्ण ने समुद्र में मौजूद शखासुर राक्षस का पेट चीरकर एक शंख निकाला, जिसके पांचजन्य कहते हैं और यमराज के पास गए और संदीपन ऋषि का पुत्र वापस लाकर संदीपन ऋषि व गुरुमाता को सौंप दिया।