आत्म ज्ञान ही हमारा प्रारंभिक गुरु है। विवेक विरोधी कर्म नहीं करना चाहिए। ज्ञान का प्रयोग समाज व राष्ट्र के विकास के लिए करना चाहिए। हम सभी परमात्मा के अंश हैं। इसलिए हमें हमेशा सत्कर्म करना चाहिए। बुराई से दूर ही रहना चाहिए। परमात्मा के सानिध्य में रहना चाहिए।
गुरु ही ज्ञान हैं। इसलिए हमें सदा इसके साथ रहना चाहिए।