मैं यहां केवल आपके कष्टों, दुखों, समस्याओं और असाध्य रोगों का शास्त्रोक्त विधि से समाधान प्रदान करने आया हूं। आप सब रोग मुक्त हों और अपना जीवन आनंद से जीएं, यहीं मेरा एकमात्र लक्ष्य है। दिव्य पा की शक्तियों का साक्षात्कार आज विश्व के 50 करोड लोग कर रहे हैं। पश्चिमी जगत के तो वैज्ञानिक व बुद्धिजीवी धर्म को नहीं मानते थे वे भी प्रभु कृपा के इस आलोक को सहज ढंग से मान रहे हैं। दिव्य पा कोई जादू या चमत्कार नहीं है बल्कि प्रभु कृपा का वह आलोक है जो हमारी सनातन मर्यादा के शास्त्रों में छुपा हुआ था। उन्होंने कहा कि मैं आपको वही दे रहा हूं जो प्रभु की कृपा से मैंने प्राप्त किया है। कुछ समय के पा से आप स्वयं देखेंगे कि आपका जीवन कैसे बदल रहा है। आपकी तन, मन, धन की समस्याएं कैसे दूर हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्रभु कृपा का यह आलोक इतना शक्तिशाली है कि कल्पना भी नहीं की जा सकती।
आदि-अनादि काल से अंधेरे और प्रकाश का जो लोक है वो अलग-अलग लोक है। किसी ने आत्मा को प्रकाश कहा है, किसी ने परमात्मा को प्रकाश कहा है। जिन लोगों ने परमात्मा को नहीं देखा है अध्यात्म को, चमत्कार को नहीं देखा है, मंत्रों की शक्ति को नहीं जाना है वे कैसे इस तथ्य को स्वीकार कर सकते हैं। सनातन मर्यादा के इस आलोक में किसी भी संकट का समाधान संभव है। मात्र 10-15 मिनट निरतर करने से इसान कर जीवन हर प्रकार के रोगों, कष्टों और बाधाओं से मुक्त हो जाएगा।