देवी भागवत् के अनुसार इस जगत का सृजन, पालन एवं संहार करने वाली आद्यशक्ति मां महालक्ष्मी हैं। महालक्ष्मी ही गौरी, काली, लक्ष्मी और सरस्वती हैं। इनके लोक कल्याणकारी रूप को दुर्गा कहते हैं।
आदिशक्ति ने दुर्गम नामक असुर का संहार किया इसी कारण देवी माँ दुर्गा नाम से विख्यात हुई।
कलियुग में माता का यही नाम प्रचलित है क्योंकि माता दुर्गा प्राणियों को दुर्गति से निकालती है। मां अपने भक्तों को हर प्रकार की विघ्न-बाधाओं से बचाती हैं। तथा प्रसन्न होने पर भक्तो को सुख-समृद्धि व ऐश्वर्य का वरदान देती हैं।
शास्त्रों में कुछ ऐसे मंत्रों का वर्णन किया गया है जिनसे माता को आसानी से प्रसन्न करके उनसे अपनी इच्छानुसार आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। अपनी इच्छा व आवश्यकता के अनुरूप मंत्रो का नियम पूर्वक उच्चारण करके माता की भक्ति करनी चाहिए।
विद्यार्थी इस प्रकार करे माँ का पूजन : विद्या की देवी माता सरस्वती हैं। इसलिए विद्यार्थियों को नवरात्र में देवी सरस्वती का ध्यान करना चाहिए। विद्यार्थी वर्ग या जिन लोगों की जन्मकुंडली में गोचर में राहु अशुभ हों, उनकी दशा, अंतर्दशा अथवा प्रत्यंतर दशा चल रही हो, वे सभी ‘ऊं ऐं हृं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः’ मंत्र पढ़ते हुए माता दुर्गा की पूजा एवं जाप करें। प्रतिदिन इसके जाप से ज्ञान बढ़ता है, बुद्धि कुशाग्र होती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
पारिवारिक शांति व सामंजस्य के लिए मंत्र : जिनके घर परिवार में अक्सर तनाव बना रहता है और छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद होता है। नवरात्र के दिनों में ऐसे लोगों को माता से पारिवारिक सुख-शांति की प्रार्थना करनी चाहिए।
दुर्गा सप्तशती में पारिवारिक एवं मानसिक शांति के लिए इस मंत्र का उल्लेख किया गया है। ‘या देवि! सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः!’ इस मंत्र की साधना से माँ की कृपा घर पर बनी रहती है एवं जप कर्ता को मानसिक शांति मिलती है।
कर्ज से मुक्ति के लिए मंत्र : जो लोग कर्ज से परेशान हैं उनके लिए नवरात्र पर्व लक्ष्मी प्राप्ति और कर्ज से मुक्ति के प्रयास का सही समय माना जाता है। दुर्गा उपासना के अवसर पर ‘या देवि! सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः!’ इस मंत्र का जप करें और इसी मंत्र से मां की पूजा करें! इन सबके अतिरिक्त अगर संभव हो, तो कुंजिका स्तोत्र और देव्य अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए।
शीघ्र विवाह के लिए दुर्गा मंत्र : जिन लड़कों के विवाह में बाधा आ रही हो उनके लिए दुर्गा सप्तशती में विशेष मंत्र दिया गया है। यह मंत्र है ‘पत्नी मनोरमां देहि! मनो वृत्तानु सारिणीम तारिणीम दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम।’ इस मंत्र के जप से सुन्दर और योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।
जो कुंवारी कन्याएं हैं, वे विवाह के लिए इस पर्व पर ‘ऊं कात्यायनी महामाये महायोगिन्य धीश्वरी! नंद गोप सुतं देवी पतिं मे कुरुते नमः।’ मंत्र से माता को प्रसन्न करके युवतियाँ अपने लिए सुयोग्य वर को प्राप्त सकती हैं।
सौभाग्य तथा संतान प्राप्ति के लिए मंत्र : महिलाओं को पार्वती और लक्ष्मी की पूजा विशेष फल प्रदान करती है। देवी भगवती के नौ स्वरूपों में पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा संतान के लिए, अष्टमी की पूजा सौभाग्य के लिए और नवमी की पूजा घर-गृहस्थी के लिए होती है।
आप अलग-अलग भी पूजा कर सकती हैं। एकाकार मंत्र के रूप में आप निम्न मंत्रों का पाठ कर सकती हैं: ‘परितुष्टा जगद्धात्री प्रत्यक्षं प्राह चंडिका। देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।’ अधिक धन प्राप्ति के लिए प्रतिदिन दशांग, गूगल और शहद मिश्रित हवन सामग्री से हवन भी कर सकते हैं।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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