ईश्वर की प्राप्ति के मार्ग में संशय बाधक है। हमें चाहिए कि हम प्रभु के चरणों में स्वयं को समर्पित कर दें, तभी उनकी कृपा को प्राप्त कर सकेंगे।
जब कोई राजा शिव धनुष को नहीं उ ा पाता है तो सीता अपने आराध्य से प्रार्थना करने लगती हैं कि आप इस धनुष को हल्का कर दें, ताकि श्रीराम इसे चढा सकें।
यहां सीता को प्रभु श्रीराम पर पूर्ण विश्वास नहीं था। परंतु जब वह अपने मन का पूर्ण समर्पण प्रभु श्रीराम के चरणों में अर्पित करती हैं तो प्रभु धनुष तोड देते हैं। अगर हम ईश्वर से मिलना चाहते हैं तो अहंकार को तोडकर ईश्वर के समक्ष अपने मन का पूर्ण समर्पण करना होगा।