चैत्र प्रतिपदा यानी हिन्दू नववर्ष, गु़ड़ी पड़वा और चेटीचंड यह तीनों त्योहार हिन्दुओं, मरा ी व सिंधी समाज और बंगाली समाज के गौरव पर्व हैं। इनकी तैयारी हर साल बड़े शानो-शौकत से की जाती है।
चैत्र प्रतिपदा के साथ ही परंपरागत हिन्दू नववर्ष का श्रीगणेश होता है। पंचांग का पूरा वैदिक गणित इसी से निर्धारित होता है। मरा ी, सिंधी व बंगाली जन इन पर्वों को विधि-विधान से मनाते हैं।
इसके लिए शास्त्रों में वर्णित विधि का पूरा पालन किया जाता है। वहीं हिन्दू धर्मावलंबी चैत्र प्रतिपदा के दिन एक-दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। घरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
सिंधी समाज द्वारा वरूण देव का पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। चेटीचंड के दिन की उनके जीवन में विशेष अहमियत होती है।
पर्व के दौरान ईश्वर की कृपा सबको मिले ऐसी प्रार्थना की जाती है। गुड़ी पड़वा मनाकर महाराष्ट्रीयन समाज अपने परिवार की खुशहाली व सबकी उन्नति की कामना करता है। वहीं बंगाली समाज एक चाल में प्रतिमाओं की स्थापना कर शक्ति की उपासना करता है।