कण कण में ईश्वर का वास है प्रत्येक प्राणी के अंत करण में परमात्मा है उसे सद्गुरु हीप्रकट कर सकते हैं
संत वह नहीं जो श्रद्धालुओं को केवल प्रभु की कथा सुनाए संत तो वह है, जो श्रद्धालुओं से कहे कि आओ मैं आपको परमात्मा का दर्शन कराता हूं लेकिन शर्त है कि प्रभु को पाना चाहते हो तो आपको धनुष रूपी अहंकार को तोडना होगा, तभी आत्मा और परमात्मा का मिलन हो सकता है
जीवन के अभावों का समाधान सद्गुरु की शरण में जाने से मिल सकता है गुरु बिनासंसार सागर से पार होना असंभव है गुरु अध्यात्म का द्वार है