श्री राम भक्त हनुमान जी कलयुग के सिद्ध देव और थोड़े से पूजा, अर्चना, ध्यान से जल्द खुश हो जाते है। हनुमान जी को भगवान् शिव शंकर का अवतरण कहा जाता हैं। हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नौ निधि प्रदान करने वाले देव भी माने जाते हैं। हनुमान जी को रिझा कर श्रद्धालु हनुमान भक्त धन, संपत्ति, विद्या, स्वास्थ्य, वैभव, संतान सब सुख प्राप्त करते हैं।
मंगलवार के दिन ही हनुमान जी का जन्म भी हुआ था और यही उनका प्रिय दिवस भी माना जाता है। हनुमान जी के भक्त मंगलवार को उनकी विशेष पूजा अपने आराध्य की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते है।
श्री हनुमान जी को मंगलवार के पूजा से खुश करने के कुछ विशेष पूजा विधियां निम्नलिखित हैं। कहा जाता है कि इन पूजाविधियों के प्रयोग से व्यक्ति को शीघ्र लाभ मिलता है।
हनुमान जी की विशेष पूजा आराधना की विधि:
साम्रगी- एक चौकी, लाल कपड़ा, श्री हनुमान जी की मूर्ति, रोली, चावल, अगरबत्ती, भोजन प्रशाद, नारियल, गुड़-चना, गंगा जल, पुष्प, फल आदि।
* सर्वप्रथम श्रद्धालु को सुबह सवेरे नाहा धोकर पूजन की जाने वाली जगह की साफ सफाई करके उस पर चौकी बिछानी चाहिए।
* लाल कपड़ा चौकी पर अच्छी तरह बिछाकर चौकी के आसपास गंगाजल छिडक कर स्थान को शुद्ध कर लें।
* प्रथम पूजनीय देव श्री गणेश जी से अर्चना करें कि वो हनुमान जी की इस विशेष आराधना को संपन्न कराएं।
* इसके बाद हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना करानी चाहिए और घी का दीप प्रजवलित करके धूप, अगरबत्ती जलानी चाहिए
* फिर हनुमान जी का कुमकुम-अक्षत से तिलक करके उनको नारियल, फूल और सिंदूर अर्पण करना चाहिए।
* अब हनुमान जी को भोजन प्रशाद, शुद्ध जल, चना, गुड़, और फलों का भोग लगाते हुए, भगवान श्री हनुमान जी से विनय करें कि अनजाने में यदि उनसे कोई गलती हो गयी हो तो हे प्रभु उसको माफ़ करके पूजा को स्वीकार करें और अपना आसान ग्रहण करें।
* हनुमान जी के दिव्य मंत्र "ऊँ हं हनुमते नम:" का 108 बार जाप रूद्राक्ष की माला से करें।
इसके अलावा, यहाँ पर हनुमान जी के कुछ अन्य मंत्र भी दिए गए है जिनका जाप पुण्य फलदायी कहा जाता हैं।
"ऊँ नमो भगवते आत्र्जनेयाय महाबलाय स्वाहा।"
प्रभु श्री राम जी के प्रिय भक्त हनुमान जी को रामायण की चौपाइयां भी अतिप्रिय है इनके जाप करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते है। रामायण की कुछ पुण्य फलदायक चौपाइयां निम्नलिखित है जिनका पाठ करने से पूरे होने वाले मनोरथों के बारे में भी नीचे बताया गया हैं।
1. हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए -
"सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपने बस करि राखे रामू।।"
2. सभी कार्यों में सफलता पाने के लिए -
अतुलित बल धामं हेम शैलाभदेहं, दनुज वनकृशानुं ज्ञानिनामग्रण्यम।
सकल गुण निधानं वानराणम धीशं, रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि।।
3. शारीरिक व मानसिक रोगों से मुक्ति पाने के लिए -
लाय संजीवन लखन जियाय। श्री रघुवीर हरषि उर लाए।।
4. शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने हेतु -
बुद्धिहीन तनु जानि के सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।।
5. विपत्ति - परेशानी को दूर करने के लिए -
"संकट कटे मिटे सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।"
6. नौकरी पाने के लिए तथा व्यापार में वृद्धि के लिए -
विश्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।।
7. जादू टोने व टोटकों से बचाव के लिए -
भूत पिशाच निकट नहीं आवे। महावीर जब नाम सुनावै।।
8. राजपद की प्राप्ति करने हेतु -
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा। राम मिलाय राजपद दीन्हा।।
9. मुकदमे में विजयी होने के लिए -
पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि बिबेक बिग्यान निधाना।।
हनुमान जी के भक्तो को अपनी विशेष मनोकामना को पूरी करने के लिए ऊपर दी गयी उससे संबंधित चैपाई का 108 बार जाप करना चाहिए जिसे कम से कम 21 दिनों तक लगातार रोज करना चाहिए। अपने भक्तो की ऐसी सच्ची भक्ति से श्री हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाओं के पूरे होने का दिव्य आशीर्वाद उनको प्रदान करते हैं।
हनुमान जी अधिकांश भक्त उनको चोला चढ़ाते है, मान्यता है कि ऐसा करने से हनुमान जी अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी को चोला चढ़ाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि चोला चढाने की भी एक नियमित विधि होती है जिसका पालन करना बहुत आवश्यक है।
इस प्रकार चढ़ाना चाइये हनुमान जी को चोला : - हनुमान जी की सिंदूरी प्रतिमा पर सिन्दूर को घी या चमेली के तेल में मिलकर लेप करने की विधि को हनुमान जी को चोला चढ़ाना कहा जाता हैं। हनुमान जी को सिंदूर अति प्रिय है जिस कारण हनुमान जी अपने ऐसे भक्तो को जो उन्हें चोला चढ़ाते है अपनी विशेष कृपा प्रदान करते हैं।
* मंगलवार के दिन हनुमान जी को घी का चोला चढ़ाया जाता है और शनिवार के दिन उनको चमेली के तेल का चोला चढ़ाया जाता है।
* चोला चढ़ाने के पश्चात हनुमान जी के भक्तों को पुजारी जी के निर्देश से हनुमान जी की प्रतिमा का श्रृंगार करना चाहिए। उनके सूंदर श्रृंगार में चांदी की बरक को धीरे-धीरे ध्यानपूर्वक एक करके हनुमान जी की मूर्ति पर लगाना चाहिए।
* फिर बाद में हनुमान जी को गुलाब की माला पहनाकर तथा जनेऊ धारण कराकर, बेसन के लड्डुओं से भोग लगाया जाता है।
* अब हनुमान जी की आरती करें व अपनी क्षमता अनुसार मंदिर में दान करें। हनुमान जी के पैरो के सिन्दूर से फिर भक्तों को अपने माथे पर तिलक के रूप में लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह विधि हनुमान जी को अतिप्रिय है और ऐसा करने वाले अपने श्रद्धालु भक्तों के जीवन के हर दुःख को हनुमान जी दूर कर देते हैं।
हनुमान चालीसा का पाठ करने की विधि :-
* हनुमान चालीसा उनकी स्तुति के लिए चालीस छंदों की सूंदर कृति हैं। चालीस छंदों के कारण ही इसको हनुमान चालीसा कहा जाता हैं।
* हनुमान चालीसा के हर एक छंद एक दिव्य मंत्र के जैसा प्रभावशाली माना जाता है। अतः इसका जाप तथा पाठ करने से पूर्व श्रद्धालु भक्त को स्वच्छ रहना चाहिए।
* सुबह-शाम हनुमान जी की मूर्ति के सामने ज्योत जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभकारी होता है।
* हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों के सभी डर, संकट, कष्ट दूर करके हनुमान जी उनके सभी मनोरथों को पूर्ण कर देते हैं।
* हनुमान चालीसा का एक साथ बिना रूके लगातार 108 बार पाठ भक्त अपनी किसी विशेष मनोकामना को पूर्ण करने के लिए करते है। इस दिव्य जाप के लिए भक्तों को रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए।
हनुमान जी को खुश करने के कुछ चमत्कारी उपाय :-
1. सुन्दरकांड का पाठ पारिवारिक जनों के साथ महीने में कम से एक बार करने से हनुमान जी खुश हो जाते हैं। साथ ही रोजाना हनुमान अष्टक का पाठ से भी सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। मंदिर में जाकर हनुमान जी के नित्य दर्शन से भी उनकी कृपा भक्तो को प्राप्त होती हैं।
हनुमान जी की पूजा में इन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए :-
1. भक्त को ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए।
2. हमेशा नहा धो करके ही पूजा करनी चाहिए।
3. किसी भी उपासना को सदा नियमित रूप से करना चाहिए। नित्य प्रतिदिन नियम पूर्वक भगवत भक्ति करनी चाहिए।
4. भक्ति उपासना के समय सांसारिक विषयों से ध्यान हटाकर केवल श्री हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए।
5. उपासना और अनुभव को सबके सम्मुख गाते नहीं रहना चाहिए।
6. हनुमान जी की पूजा के समय जिस मंत्र का जाप कर रहे हैं, उसी के अनुसार उनके दिव्य स्वरूप का ध्यान करना चाहिए।
श्री हनुमान जी के कुछ सिद्ध दिव्य मंत्र निम्नलिखित है जो कि अत्यंत लाभकारी माने जाते है :-
1. डर नाश करने के लिए :-
‘हं हनुमंते नम:’
2. भूत प्रेत बाधा को दूर करने के लिए :-
‘हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:'
अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।।’
3. हनुमान द्वादशाक्षर मंत्र :-
‘ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।’
4. इच्छापूर्ति के लिए मंत्र :-
‘महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते।
हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।।’
5. शत्रुओ और रोगों पर विजय पाने के लिए :-
‘ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।’
6. कष्टों को दूर करने के लिए :-
‘ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।’
7. कर्ज से मुक्ति पाने के लिए मंत्र : -
‘ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।’
भगवान् श्री हनुमान जी को कलयुग का जागृत देव माना जाता हैं। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरित मानस लिखने से पूर्व हनुमान चालीसा लिखी थी जिसके बाद हनुमान की कृपा और आशीर्वाद से ही तुलसीदास जी श्रीरामचरित मानस लिख पाए थे। विद्वान् बताते है कि हनुमान चालीसा को ध्यान से पढऩे और जानने के बाद में पता चलता है कि हनुमान जी ही इस कलियुग के जागृत देव हैं, जो अपने भक्तों की सभी पीड़ा, दुःख, भय दूर करने के लिए बहुत शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।
यहाँ श्री हनुमान जी के कुछ दिव्य पाठों के नाम तथा उनके जाप से होने वाले लाभ बताये गए है :
1. हनुमान चालीसा : सबसे शक्तिशाली हनुमान मन्त्र है जो व्यक्ति सुबह और शाम को हनुमान चालीसा का पाठ करता है। उस पर किसी भी प्रकार का बंधन नहीं लगाया जा सकता है। उसके उपर किसी भी प्रकार की कारागार सम्बंधित समस्या नहीं आ सकती है। अगर किसी को अपने गलत कामो के कारण जेल हो जाए, तो उसको संकल्प लेकर माफ़ी मांगते हुए पूजा पाठ करना चाहिए। साथ ही जीवन में आगे से कभी भी दोबारा नहीं दोहराने का वचन देते हुए हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करना चाहिए।
2. बजरंग बाण : सांसारिक जीवन में कुछ लोग अपने व्यवहार से लोगों को नाराज कर देते हैं, इससे उनके दुश्मनों की संख्या बढ़ जाती हैं। कुछ लोग स्पष्टवादी होते है जिनकी बात लोगो को बुरी लग जाती है ऐसे लोगो के कुछ गुप्त शत्रु बन जाते हैं। कई बार कुछ सामाजिक लोग व्यक्ति की प्रसिद्धि से भी जलने लगते है और उसके खिलाफ साजिशें करने लगते है। कठिन समय में हनुमान जी के सच्चे भक्तों की श्री बजरंग बाण रक्षा करता है। बजरंग बाण के पाठ से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, बजरंग बाण का पाठ श्रद्धालु भक्तों को एक निश्चित स्थान पर बैठकर नियम पूर्वक 21 दिनों तक करना चाहिए। साथ ही निरतर सच्चाई के रास्ते पर चलने का संकल्प करना चाहिए, क्योंकि हनुमान जी हमेशा शुद्ध ह्रदय वाले लोगों का ही साथ देते हैं। बजरंग बाण जाप का दिव्य फल उनके भक्तों को मात्र 21 दिन में मिल जाता है।
3. हनुमान बाहुक : यदि कोई व्यक्ति शारीरिक कष्ट जैसे गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि से पीड़ित हैं, तो जल का एक पात्र लेकर यदि उसको सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 अथवा 21 दिनों तक शुभ मुहूर्त में पाठ करें। पाठ के पश्चात नित्य प्रतिदिन उस पानी को पी लें तो ऐसा माना जाता है कि उसको हनुमान जी की कृपा से सभी शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी।
4. हनुमान मंत्र : भूत-प्रेत से लेकर अँधेरे तक किसी भी प्रकार के भय को दूर करने के लिए हनुमान जी के दिव्य मन्त्र 'हं हनुमंते नम:' का रात्रि को सोने से पूर्व हाथ-पैर, मुँह धोकर पूर्व दिशा की और मुख करके 108 बार जप करके सोना चाहिए। ऐसा करने वाले हनुमत भक्तो में शीघ्र ही निर्भयता का संचार होने लगता है।
5. हनुमान जी का शाबर मंत्र : शाबर मंत्र को श्री हनुमान जी का अत्यंत ही सिद्ध मंत्र माना जाता है। इसका पाठ करने वाले अपने भक्तों पर श्री हनुमान जी अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इसका प्रयोग शुद्ध ह्रदय वाले मनुष्य को कल्याणकारी कार्यों के लिए ही करना चाहिए। शाबर मंत्र में व्यक्ति के जीवन के सभी संकटों और कष्टों को समाप्त करने की दिव्य क्षमता रहती है। हनुमान जी के कई शाबर मंत्र हैं जो भिन्न भिन्न कार्यों में लाभकारी है तथा व्यक्ति की समस्याओं का समाधान करते हैं।
शनि ग्रह को न्यायकारी और दंडात्मक ग्रह माना जाता है शनि के दिए गए कष्ट व्यक्ति के लिए काफी असहनीय होते है किन्तु कहा जाता है कि श्री हनुमान जी की जिस पर विशेष कृपा होती है। शनिदेव और यमराज भी उसके लिए अपना स्वभाव नम्र कर लेते है। शनि ग्रह के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को हर मंगलवार के दिन श्री हनुमान जी के मंदिर जाना चाहिए और मदिरा व मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही शनिवार के दिन सुंदरकांड व हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि देव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रत्येक मंगलवार व शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में गुड़ और चना चढ़ाना चाहिए करें और साथ ही घर में सुबह-शाम हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। 21 दिन तक लगातार नित्य नियम से ऐसा करने के पश्चात हनुमान जी को चोला अर्पित करे। ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा से भक्तो के घर में सुख-शांति का वास हो जाता हैं।
हनुमान जी की दिव्य अष्ठ सिद्धियां निम्नलिखित है।
1. अणिमा सिद्धि - यह एक ऐसी दिव्य सिद्धि है जिससे इन्सान सूक्ष्म (बहुत छोटा) रूप धारण कर सकता है। इसी दिव्य सिद्धि का प्रयोग करके श्री हनुमान जी ने लंका में माता सीता को अपना छोटा रुप दिखाया था। इस साक्ष्य को हनुमान चालीसा के एक दोहे 'सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा' के माध्यम से बताया गया है।
2. महिमा सिद्धि - अणिमा के दूसरे रूप में इस सिद्धि के जरिये विराट रूप धारण किया जा सकता है। भगवान् श्री कृष्ण जी के द्वारा महाभारत के युद्ध में अर्जुन को दिखाए गए विराट स्वरूप की भांति।
3. गरिमा सिद्धि - यह दिव्य सिद्धि देह को बहुत भारी बनाया जा सकता है। इस सिद्धि का प्रयोग करके ही हनुमान जी ने अपनी पूंछ को इतना भारी बना लिया था कि भीम जैसा बलशाली भी उसे हिला नहीं सका था।
4. लघिमा सिद्धि - इस सिद्धि को गरिमा के विलोम रूप में शरीर को अपनी इच्छा के अनुसार हल्का किया जा सकता है। रुई जितना हल्का होकर इस शक्ति से आकाश में उड़कर निर्वात में भी विचरण किया जा सकता है।
5. प्राप्ति सिद्धि - इस दिव्य सिद्धि के प्रयोग से मनवांछित वस्तु को प्राप्त किया जा सकता है। प्रत्येक भाषा के साथ ही पशु, पक्षियों की बोली को भी समझा सकता है। इस सिद्धि को धारण करने वाला भविष्य को भी देख सकता है व किसी भी दुःख को दूर कर सकता है। अपनी इस सिद्धि से हनुमान जी ने धैर्य व संतोष प्राप्त किया। हनुमान जी ने प्रभु राम की दी गयी मोतियों की माला को भी कंकड़ के समान माना और अपने आराध्य प्रभु श्री राम की भक्ति में मग्न रहे।
6. प्राकाम्य सिद्धि - इस सिद्धि के प्रयोग से धारक अपनी इच्छा से धरती में भी समा सकता है और आसमान में भी उड सकता है। कितनी भी देर तक जल में रह सकता है। अपनी इच्छा के अनुसार रूप बदल सकता है तथा किसी भी शरीर में प्रविष्ट होने की दिव्य क्षमता व चिरयुवा रहने की शक्ति इस सिद्धि से प्राप्त होती है।
7. ईशित्व सिद्धि - इस सिद्धि से इंसान में भगवान का वास हो जाता है। मनुष्य में भगवान की दिव्य शक्ति आ जाती है और वह पूजनीय हो जाता है। इसी सिद्धि से हनुमान सभी के लिए परम पूजनीय हैं।
8. वशित्व सिद्धि - यह एक अद्भुत दिव्य सिद्धि है। इस सिद्धि को धारण करने वाला व्यक्ति किसी को भी अपने वश में कर सकता है। भयंकर जंगली पशु-पक्षियों से लेकर इंसानों तक किसी को भी अपने वश में करके अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करवाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। इस सिद्धि से हनुमान जी ने अपने मन, वचन, काम, क्रोध, आवेश, राग-अनुराग को भी वश में कर लिया था।
यही वो दिव्य अष्ट सिद्धियां थी जिन्हे धारण करने वाले श्री हनुमान जी महावीर बन गए थे।
वैसे तो श्री हनुमान जी को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निडरता का स्वरूप माना जाता है। किसी भी विपत्ति या संकट के समय में हनुमान जी का ही स्मरण किया जाता है, इसीलिए उनको संकटमोचन भी कहा जाता हैं।
हनुमान जी को शिव अर्थात भगवान् रुद्र का अवतार भी माना जाता है। रुद्र आँधी-तूफान के प्रतीक देव भी हैं और देवराज इंद्र के साथी भी। भगवान् रूद्र का प्राकट्य विष्णु पुराण में ब्रह्माजी की भृकुटी से बताया गया। हनुमान जी वायुदेव या मारुति नामक रुद्र के पुत्र माने जाते हैं।
हनुमान का शाब्दिक अर्थ इस प्रकार है कि 'हनुमान' शब्द का ह ब्रह्मा जी को, न अर्चना को, मा लक्ष्मी जी को और न पराक्रम को दर्शाता है।
सभी देवताओं से हनुमान जी को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त है। हनुमान जी एक सिद्ध सेवक भी हैं और राजदूत भी, नीतिज्ञ, विद्वान, रक्षक, वक्ता, गायक, नर्तक, बलवान और बुद्धिमान भी है। हनुमान जी को शास्त्रीय संगीत के तीन आचार्यों में से भी एक कहा जाता है, जबकि अन्य दो आचार्य शार्दूल और कहाल थे। हनुमान जी के संगीत-सिद्धांत पर 'संगीत पारिजात' नामक ग्रन्थ लिखा गया है।
सबसे पहले रामकथा लिखने वाले भी हनुमान जी ही कहे जाते है जो कि उन्होंने शिला पर लिखी थी। यह रामकथा वाल्मीकि रामायण से भी पहले लिखी हुई बताई जाती है जिसको हनुमन्नाटक नाम से जाना जाता है।
हनुमान जी का जन्म एक कथा के अनुसार महाराजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ से प्राप्त हवि जब अपनी तीनो रानियों को दी तो उसका एक भाग गरुड़ लेकर उड़ गया और हवि का वह भाग जहां पर गिरा वहीँ माँ अंजनी पुत्र की प्राप्ति के लिए तप कर रही थी। माँ अंजनी गरुड़ द्वारा गिराया गया वह हवि का भाग खा लेने से उनको हनुमान जी जैसे दिव्य पुत्र की प्राप्ति हुई।
हनुमान जी की पूजा एक शिर, पंचशिर और एकादश शिर, संकटमोचन, सर्व हितरत और ऋद्धि-सिद्धि के दाता जैसे दिव्य रूपों में की जाती हैं।
आनंद रामायण के अनुसार हनुमान जी को सनातन धर्म के आठ चिरंजीवीयो में से एक माना जाता है। हनुमान जी के अलावा अन्य सात चिरंजीवी, अश्वत्थामा, बलि, व्यास, विभीषण, नारद, परशुराम और मार्कण्डेय माने जाते है।