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क्या वास्तव में हनुमान जी बन्दर थे

 

हनुमान जी न बन्दर थे और न वानर- बलिक वो कपि थे और यह कपि नामक जाती त्रेता युग में ब्रह्मा जी बिशेष रचना परम पुरुष परमात्मा के मानव रूप श्री राम की सहायता के लिए किया था. यह एक बिसेष रचना बिसेष स्थति में कभी कभी ब्रह्मा जी को सृष्टि के लिए करना होता है.

यह कपि नामक जाती अब इस पृथ्वी पर कहीं नहीं है. जब परमात्मा ने यह निस्चय किया की इस पृथ्वी पर चक्रवर्ती सम्राठ दसरथ जी के राजकुमार के रूप में अवतीर्ण होंगे,और अधर्मिओं पापियों का नाश कर धर्म की स्थापना करेंगे. इस पर ब्रह्मा जी के आदेश से सभी देवी देवता भगवान् के आने के पूर्व ही इस धरा पर वानर- भालू और कपि के रूप में अवतरण हो गए और प्रभु की बाट देखने लगे.

सुग्रीव- बाली इत्यादि कपि थे जो किष्किंधा (कर्नाटका) में पहले से भगवान् के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे. यह बाट हनुमान जी को भी पता था और तभी तो भगवान् का नाम का जाप किष्किंधा के ऋषियुमाक पर्वत पर ले रहे थे. बाली- सुग्रीव और अन्य जितने लोग थे, वो कोई साधारण कपि नहीं थे. इनकी शक्ति भी अतुलित थी. यह मनुष्य के शरीर के आकार के होते थे और इनकी ठूठी केवल थोड़ा फुला होता था, जैसे की वानर. हाला की कुछ लोग इन्हे वानर कह देते हैं, पर यह वानर नहीं, बलिक कपि हैं. यह उड़ सकते थे.

हनुमान जी को तो बिसेष शक्ति प्रदान सारे देवी देवता के साथ ब्रह्मा जी, और शिव जी ने किया था. श्री हनुमान जी को तो वैसे भी माता सीता और स्वयं भगवान् ने बहुत कुछ दिया हुआ है. इसलिए इन्हे तो कोई भी पराजित नहीं कर सकता? इन्हे न तो यम और न ब्रह्मा जी या शिव जी का फांश बाँध सकता है. यह केवल अपने प्रभु श्री राम के फाँस से ही बांधे जा सकते है. अन्यत्र किसी से नहीं?

इसी कारण हनुमान जी को कपिश्रेष्ठ भी कहा जाता है- क्योंकि- वो अतुलित बलधामं, ज्ञानिनाम अग्रगण्यम हैं. इस कारन श्री बजरंगबली जी को कपि श्रेष्ठ कहा जाता है. हनुमान जी और इनके सामान कपि की बिसेष रचना ही परम पुरुष- पुराण पुरुष, अच्युत - मुकुंद श्री राम के सहायता के लिए ब्रह्मा जी ने किया था.

श्री बजरंगबली जी के सामान भगवान् के कोई अन्य भक्त नहीं है. वैसे तो बहुत से लोग भगवान् के भक्त हुए है और श्री नारद मुनि जी को भी भगवान् का ही रूप माना जाता है, क्योंकि, नारद मुनि के सामान भी कोई भक्त नहीं है. पर इन सभी में सबसे आगे एक ही नाम है और वो हैं श्री बजरंगबली. इनके ही रूप भगवान् शिव भी भगवान् श्री राम के सबसे बड़े भक्त कहे जाते है.

 

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