तब शिव तीसर नयन उघारा
चितवत काम भयेऊ ज़रि छारा ।
अर्थात् इस नेत्र में काम को जला कर भस्म कर देने की अपार शक्ति है । किन्तु शिव भगवान राम के रूप को अपने त्रिनेत्रों से बहुत प्रेम से देखते हैं -
शंकर राम रूप अनुरागे
नयन पंचदश अति प्रिय लागे ।
अत: यह निष्कर्ष निकालना सही है कि शिव का तीसरा नेत्र कल्याणकर ही है । इसे जागृत कर साधक को भी कल्याण मार्ग पर चलना चाहिये ।