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क्या है सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा

 
आभामण्डल हमारा सुरक्षा चक्र होता है, विज्ञान के स्तर पर समझने के लिए इसे हम antenna कहकर सम्बोधित कर सकते हैं । जैसे पुराने time में antenna तरंगों को catch करके हमारे TV में भेजता था, हमारे आभामण्डल का भी यही कार्य है, यह ब्रह्माण्ड की तरंगों को catch करता है । मन, आभामण्डल, सुक्ष्म शरीर ये सब एक ही है, बस अलग अलग स्तर पर नाम अलग अलग हैं ।
हमारे शरीर में तीन प्रमुख नाडियां है, इडा, पिंगला, सुषुम्ना । इडा body के left में, पिंगला body के right में, और सुषुम्ना नाडी spinal cord पर होती है । जहां जहां यह तीनों मिलती है उस जगह चक्र का निर्माण होता है, तो यह तीनों नाडियां हमारे शरीर में सात जगह मिलती है, इन्हीं सात जगह हमारे चक्र होते हैं, जिस चक्र में unbalance आया उस चक्र से सम्बन्धित जगह पर बिमारी आ जाएगी । तो इन्हीं सात चक्रों की सुरक्षा परत आभामण्डल कहलाती है । अब यह आभामण्डल positive और negative waves को store करता है, आपने जैसे शब्द सुने उसके आधार पर आपका आभमण्डल पोषित होगा या फिर क्षीण होगा । बस इसी के घटने बढने के कारण आप में सकारात्मकता या नकारात्मकता आती है ।
साधु संतों का आभामण्डल इतना विकसित होता है कि वे अपने पास आई negativity को positivity में change कर देते हैं, लेकिन हम ऎसा नहीं कर पाते क्योकि हमारा aura पहले से इतना पोषित नहीं होता कि सामने वाले कि negative waves को हटा सकें बल्कि सामने वाले कि negative waves हमारे आभामण्डल को नुकसान पहुंचा देती है, आपने देखा होगा कि आप किसी के पास बैठते हो तो उसके पास ही बैठे रहने का मन करता है, क्योकिं उसकी positively waves आप catch कर रहे हो और आपका आभमण्डल विकसित हो रहा है, इसीलिए आपका मन नहीं करता उसके पास से हटने को, और ठीक इसके opposite स्वभाव का आपके पास कोई व्यक्ति आ जाए तो आप मन में सोचते हो कि ये कब जाएगा या कुछ ऎसा हो मैं हि यहां से निकल जाऊं । इसका मतलब कि आपका आभामण्डल उसकी negatively waves से क्षीण हो रहा है इसीलिए आपका मन उस व्यक्ति को repeal कर रहा है या फिर दुर फेंक रहा है । यही सभी प्रक्रिया सुक्ष्म जगत् में सम्पन्न होती है ।
कहते भी है ना कि रोग आदि पहले सुक्ष्म शरीर में आते है बाद में उनका असर स्थूल शरीर पर पड़ता है, क्योकि सुक्ष्म शरीर का चक्र unbalance हुआ तो उसी चक्र से सम्बन्धित रोग स्थूल शरीर पर आएगा । अब चक्र unbalance होने की वजह है आपके आभामण्डल की सुरक्षा परत क्षीण हुई है । इसी से चक्र unbalance हुआ । आभमण्डल की परत क्षीण हुई negative waves से, इसीलिए अपने अन्दर किसी भी प्रकार की negativity को मत आने दीजिए
हमारा आभामण्डल सत्संग करते रहने से, पूजा करने से, अच्छे लोगो के साथ रहने से तथा ज्योतिष एवं meditation की मदद से यह विकसित होता है तथा हमारे अन्दर सकारात्म ऊर्जा का वास होता है जो हमें आगे बढ़ने में सहायता करती है
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Posted Comments
 
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।"
Posted By:  संतोष ठाकुर
 
"om namh shivay..."
Posted By:  krishna
 
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye"
Posted By:  vikaskrishnadas
 
"वास्तु टिप्स बताएँ ? "
Posted By:  VAKEEL TAMRE
 
""jai maa laxmiji""
Posted By:  Tribhuwan Agrasen
 
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है"
Posted By:  ओम प्रकाश तिवारी
 
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