बद्रीनाथ भारत में स्थित चार धाम मंदिरों में से एक है। भारत का हर प्राचीन मंदिर अपने आप में एक कहानी छिपाए हुए है और इनके पीछे की धार्मिक गाथाएं भी बहुत रोचक होती हैं। उत्तर भारत में स्थित बद्रीनाथ धाम भी अपने आप में कुछ रोचक तथ्य छिपाए हुए है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
1. बद्रीनाथ मंदिर हिन्दुवों के चार धाम मंदिरों में से एक है, चार धाम मंदिर भारत में चरों दिशाओं में से एक है जिनमे से ये उत्तर भारत में स्थित है।
2. यह मंदिर उत्तराखंड में स्थित छोटा चार धाम सर्किट का भी हिस्सा है बाकि के तीन मंदिर - गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ हैं। इसके साथ ही यह पंच- बद्री मंदिरों का भी हिस्सा है।
3. बद्रीनाथ मंदिर चारधामों में से इकलौता ऐसा मंदिर है जो हिमालय क्षेत्र में आता है और बर्फीले पहाड़ों से घिरा है।
4. यह जबरदस्त 3,300 मीटर / 10,826 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है जहाँ तापमान बेहद ठंडा रहता है।
5. बाकि तीन धामों से हट कर बद्रीनाथ मंदिर छह महीने के लिए शर्दियों के समय बंद रहता है जिसका कारण अत्यधिक बर्फ़बारी और स्थान तक न पहुँच पाना है।
6. बद्रीनाथ मंदिर का उल्लेख हिन्दुवों के कई पौराणिक ग्रंथों में भी हैं जैसे की भगवत पुराण, स्कंद पुराण और महाभारत इसके साथ ही मंदिर के आस पास का उल्लेख पद्मा पुराण में भी किया गया है और इसे अध्यात्म का केंद्र कहा गया है।
7. तमिलनाडु के संतो द्वारा बताए गए भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्या देशों में बद्रीनाथ धाम भी एक है।
8. एडविन टी॰ एटकिंसन ने अपनी किताब, "द हिमालयन गजेटियर" में बताया है कि इस स्थान पर पहले बद्री के घने वन पाए जाते थे जिससे इस स्थान को अपना नाम मिला।
9. पौराणिक कथाओं के हिसाब से भी भगवान विष्णु का यहाँ बद्री पेड़ के निचे बैठ कर तपस्या करने का वर्णन है, जिसके चलते इससे बद्रीनाथ नाम मिला।
10. माना जाता है की बद्रीनाथ मंदिर आठवीं शताब्दी में बौद्ध मठ हुआ करता था जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा हिन्दू मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया इसके पीछे का मुख्या कारण मंदिर की वास्तुकला है जो की बौद्ध मंदिर के सामान है तथा इसका चमकीला तथा चित्रित मुख-भाग भी बौद्ध मंदिर की ओर इशारा करता है।
11. माना जाता है की बद्रीनाथ की मूर्ति स्वयं देवताओं ने स्थापित की थी जिसे बौद्धों ने अपने काल में अलकनन्दा नदी में फेंक दिया था। बाद में शंकराचार्य द्वारा अलकनंदा नदी में खोज कर इस मूर्ति को तप्त कुंड नामक गर्म चश्मे के पास स्थित एक गुफा में स्थापित किया गया। तदनन्तर मूर्ति पुन: स्थानान्तरित हो गयी। अंत में तीसरी बार रामानुजाचार्य ने मूर्ति को तप्तकुण्ड से निकालकर इसकी स्थापना की।
12. यह मूर्ति 3.3 फीट लम्बी शालीग्राम से निर्मित है जो मंदिर के गर्बगृह में स्थित है और बद्रीनाथ मंदिर का मुख्या आकर्षण भी है।
13. मंदिर का निर्माण व विस्तार का कार्य सत्रहवीं शताब्दी में गढ़वाल के राजाओं द्वारा किया गया था परन्तु 1803 में में हिमालय में आये भूकंप के कारण मंदिर को काफी क्षति हुई। बाद में मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य जयपुर के एक राजा द्वारा किया गया था जो प्रथम विश्व युद्ध से पहले ख़तम हो चूका था।
14. मन्दिर के बन जाने के बाद इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई ने यहां स्वर्ण कलश छत्री चढ़ाई थी। बीसवीं शताब्दी में जब गढ़वाल राज्य को दो भागों में बांटा गया, तो बद्रीनाथ मन्दिर ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया; हालाँकि मन्दिर की प्रबंधन समिति का अध्यक्ष तब भी गढ़वाल का राजा ही होता था।
15. 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के बाद यहाँ तीर्थ यात्रियों की संख्या काफी काम हो गई थी पर 2018 में बद्रीनाथ में कपाट खुलने के एक महीने के अंदर ही रिकॉर्ड 428098 लोगों ने दर्शन किया जो की सिर्फ औपचारिक आंकड़ा था।