कहा जाता है कि बिना मार्गदर्शक के तन्त्र से सबंधित साधना या उपाय नही करने चाहिए। तन्त्र एक ऐसी शक्ति है जिसके तरीके जल्द फलदायी तो होते है किन्तु कई बार उतने ही दुष्परिणाम भी प्रदान करते है। आज लोग पुस्तकों से या इंटरनेट से कोई भी साधना या तंत्र उपाय देखकर उपयोग करने लगते है जिसका कई बार बिना गुरु के दुष्परिणाम भी भुगतना पड़ता है। बिना गुरु के ये प्रयोग क्यों नहीं करने चाहिए ये यहाँ बताया जा गया है।
दरअसल कई बार तंत्र साधना, या उपाय करने के कुछ दिनों बाद ही जीवन मे कई विवाद उत्प्न होने लग जाते है। जैसे अकारण स्वास्थ खराब होने लग जाता है, कारोबार - व्यापार आदि में क्षति होने लगती है। अकारण ही सबंधो में आपसी लड़ाई झगड़े विवाद बढ़ने लगते है। कई बार तो इनसे भी अधिक बड़ी समस्याएं आने लगती है। जैसे कई बार रात को नींद का ना आना, आस पास किसी का अनजान साया महसूस होना। पायल की आवाज सुनाई देना, रात को सोते समय भयानक सपने दिखाई देना, इन सब कारणों से घर के अंदर कई बार डर भी लगने लग जाता है।
ये वो मुख्य समस्याएं है जो तन्त्र साधना या उसके उपाय के ठीक प्रकार से न करने से उत्प्न होती है। जिस प्रकार यदि किसी को कोई स्वास्थ सबंधी समस्या होती है तो पहले डॉक्टर से परामर्श लिया जाता है तभी दवाई का प्रयोग किया जाता है। तथा बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई जीवन के लिए संकट उत्पन्न कर सकती है ठीक उसी प्रकार तन्त्र क्रिया से सबंधी काम भी बिना गुरु या मार्गदर्शक के करना कष्टकारी होता है। जब कोई तन्त्र सबंधित कार्य किया जाता है तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है और उसी ऊर्जा को सही दिशा में प्रयोग किया जाता है।
यदि साधना या उपाय का प्रयोग ठीक तरह से प्रयोग हुआ है तो एक सकारात्मक ऊर्जा निकलती है जो साधक के कार्य को पूर्ण कर देती है, किन्तु कोई गलती हो जाती है तो सकारात्मक ऊर्जा के स्थान पर एक नकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन है। जो कि साधक को लाभ के स्थान पर हानि पहुचाती है। क्योंकि जब भी कोई तन्त्र सबंधित काम किया जाता है तो सबसे पहले नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यही कारण है कि पहले सकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा चक्र बनाया जाता है ताकि गलती होने पर साधक के शरीर को किसी प्रकार की हानि ना हो।
यही सब कारण है जिनकी वजह से तन्त्र साधना में आने से पहले एक सही गुरु की खोज कर लेना आवश्यक बताया जाता है। जिनके मार्गदर्शन में तन्त्र साधना का साधक सही से उपयोग कर पाता है और गुरु के सुरक्षा कवच से हानि होने से भी बच जाता है। यहाँ वहाँ से तन्त्र सीखकर साधना सीखकर उपाय करना घातक सिद्ध भी हो सकता है। साधना में त्रुटि हो जाने पर तो बड़े बड़े साधक भी कई बार काल को प्राप्त हो जाते है।