ज्ञान किसको मिलता है ? जो श्रद्धाभाव से शरणागत हो और अपना आप समर्पित करके गुरु के समक्ष कहे कि मुझे ज्ञान दें, तभी तत्व - दर्शन होता है। दूसरी मर्यादा यह कि जब गुरु तुम्हें ज्ञान समाप्त करे माने पूर्णाहुति करें तो शिष्य होने के नाते गुरु - चरणों में भेंट समर्पित करे। भेंट क्या हो ? जो वस्तु तुम्हें सब से प्रिय हो वही भेंट करो।