जन्म कुण्डली में जब कोई ग्रह शत्रु ग्रह के क्षेत्र में हो अथवा शत्रु ग्रह की राशि में बैठा हो तो वह दुखी अवस्था में होता है। जिस तरह से यदि कभी किसी व्यक्ति को अपने शत्रु के घर में जाना पड़े तो वह वहाँ जाकर परेशानी का अनुभव करता है। इसी तरह से ग्रह भी शत्रु के घर में परेशान होता है। ग्रह की इस अवस्था के कारण व्यक्ति को अनेक कष्ट मिलते हैं। उसे परिस्थतियों के कारण कष्ट की अनुभूति होती है।
दुखीअवस्थाप्रभाव।
ग्रह की इस अवस्था के कारण व्यक्ति का स्थान परिवर्तन होता है। अपने प्रिय जनों से अलग रहने की स्थिति पैदा हो सकती है। आग लगने का भय तथा चोरी का होने का भय व्यक्ति को सताता है ।