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चार बातों की बांध लो कल्याण हो जायेगा

 

धन कमाना बुरी बात नहीं है। धन खूब कमाओ, नंबर एक से कमाओ, नंबर 2 से कमाओ, लेकिन बस इस बात का होश रखो कि धन कमा क्यों रहे हो। चार बातों पर गौर करें तो जीवन में किसी प्रवचन सुनने की जरूरत ही नहीं पडेगी। 

- मैं कौन हूँ।
- पृथ्वी पर क्यों आया हूँ।
- कर क्या रहा हूँ।
- जाना कहाँ पर है।

आवश्यकता की पूर्ति के लिए धन कमाएं। लेकिन आवश्यकता व इच्छा में भेद को भी बखूबी जानें। जीवन में समस्या सुनने की है। कोई किसी की सुनता ही नहीं है। प्रभु की सुन लो, बस सुनने मात्र से ही बेडा पार हो जाएगा। मनुष्य की जिंदगी में आवश्यकता घटती जा रही है, लेकिन इच्छाएं बढती जा रही है। 

रसोई में बेशक सामानों की सूची धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन बाथरूम में रंग बिरंगे फैशन के सामानों की ढेर लग रहे हैं। व्यक्ति चौबीस घंटे चिंता में डूबा रहता है। संपन्नता तो बहुत है, लेकिन इच्छा की पूर्ति कुबेर भी नहीं कर सकता है। भगाने व घर छोडने से भगवान नहीं मिलता है। दुनिया में एक भी विरक्त व्यक्ति को भगवान का दर्शन नहीं हुआ। 

रैदास, कबीरदास, चैतन्य, कर्माबाई, मीराबाई, ज्ञानदेव व लाख साहित जितने भी महापुरुष हुए, गृहस्थी में ही भगवान से साक्षात्कार हुआ। भगवान गृहस्थी में ही मिलते हैं। भगवान के दर्शन के लिए वृंदावन व आयोध्या भागने की जरूरत नहीं है। बस चार बातों को गाँठ बांधकर जागिए, भागिए नहीं। आपका कल्याण हो जाएगा। 

भजन में स्वार्थ व संसार के व्यवहार में परमार्थ चाहिए। पहले बांटिए तब खाने की कोशिश कीजिए। परिवार एक बस अड्डे के समान है। सवारी अच्छी होगी, तो यात्रा भी सुखद होगी। चार बातों पर गौर करेंगे तो बुराई स्वयं छोडकर चली जाएगी।

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