कभी-कभी हम दूसरे व्यक्ति के सुख-संसाधनों को देखकर तनाव पालने लगते हैं । यह तनाव निराधार है; क्योंकि जगत की सम्पत्ति जितनी अधिक बढ़ेगी, अभाव और तनाव भी उसी अनुपात में बढ़ेगा । अधिक पाने से सुख नहीं बढ़ता, वरन् झंझट, कष्ट और दुख ही बढ़ते हैं । हम अभिमान में भले ही सोचें कि हमारे पास इतनी जमीन है, इतने मकान हैं, परंतु बैठने के लिए उतना ही स्थान काम आयेगा, जितने में हमारा स्थूल शरीर रह सकता है, खायेंगे भी उतना ही जितना सदा खाते हैं, पहनेंगे भी उतना ही जितना शरीर को ढकने के लिए चाहिए और अन्त में तो अमीर हो या गरीब सबको सिर्फ दो ही गज जमीन की जरूरत होती है ।इसलिए हमारे पास जो कुछ है, उसी में सन्तुष्ट रहने से सुख मिलेगा। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके पास हमसे भी कम है, फिर भी वे आनन्द के साथ रह रहे हैं ।
एक व्यक्ति भगवान को कोसता हुआ अति दुखी मन से चला जा रहा था; क्योंकि उसके पास पाँव में पहनने के लिए जूते नहीं थे। कुछ दूरी चलने के बाद उसकी नजर एक ऐसे व्यक्ति पर पड़ी जिसके पाँव ही नहीं थे। यह देखकर उसको समझ आयी और वह ईश्वर को धन्यवाद देने लगा कि प्रभु ने उसे लँगड़ा-लूला तो नहीं बनाया।
महापुरुषों का कथन है कि मानसिक शान्ति के लिए हम कभी किसी की आलोचना अथवा निन्दा न करें और केवल अपने काम से काम रखें । भगवान ने हमें दुनिया का थानेदार या जज नियुक्त नहीं किया है । संसार को हमारी निगरानी की आवश्यकता नहीं है । जगत में जो कुछ भी हो रहा है, वह ईश्वर की इच्छा से ही हो रहा है--- होइहिं सोइ जो राम रचि राखा ।
कम बोलने से तनाव नहीं होता है । बिना सोचे बोलने से अनर्थ हो सकता है ।
तनावरहित जीवन का एक सूत्र यह भी है कि हम किसी से कोई आशा या अपेक्षा न रखें, यहाँ तक कि अपनी संतान से भी नहीं । अपेक्षा विषाद की जननी है । भगवान पर भरोसा रखें और अपनी मदद स्वयं करें- --आशा एक राम जी से दूजी आशा छोड़ दे।
दुर्दिनों से लड़ने का सबसे शक्तिशाली हथियार धैर्य है । कोई हमारा अपमान करे तो हम उसके प्रति मन में दुर्भावना न रखें । मान-अपमान भी प्रभु की इच्छा से होता है । दुख पालने से हमारा ही नुकसान होता है ।
तनाव कम करने के लिए जरूरी है कि आज का काम आज ही कर लिया जाये
-- भगवान ने हमें दुख पाने के लिए इस संसार में नहीं भेजा है । हम सुखस्वरूप परमात्मा के अंश हैं और सुख एवं आनन्द पाने के लिए ही जगत में आये हैं; तनाव में जीना हमारी नियति नहीं होनी चाहिए ।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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