शंकराचार्य घाट स्थित तपस्या पी पर सांकेतिक तपस्या करने और समर्थन देने वालों का तांता गुरुवार को भी जारी रहा। इस क्रम में केंद्रीय देव दीपावली समिति के उपाध्यक्ष श्रीनारायण द्विवेदी ने तपस्यास्थल पर उपवास किया और गंगा की दुर्दशा से क्षुब्ध हो कर 30 मार्च से 17 अप्रैल तक रामनगर में होने वाली भव्य गंगा आरती को बंद करने की घोषणा की। स्पष्ट किया कि रामनगर के बलुआघाट पर अब सिर्फ सांकेतिक आरती ही की जाएगी। साथ ही यह भी एलान किया कि अब वह बाबा विश्वनाथ को सीवर मिश्रित गंगाजल नहीं चढाएंगे। महात्मा गांधी काशी विद्यापी के छात्र नेता महेंद्र सिंह मोनू की अगुवाई में काफी संख्या में छात्रों का दल शंकराचार्य घाट पहुंचा और गंगा अभियान में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की घोषणा की। कहा, चाहे बनारस बंद का मसला हो अथवा धरना-प्रदर्शन या फिर उपवास का विद्यापी के छात्र पीछे नहीं रहेंगे।
गंगाभक्तों का दल तपस्या स्थल पर पहुंच कर गंगा निर्मलीकरण अभियान का समर्थन किया और एलान किया कि गंगा को गंगा का रूप दिलाने के लिए समिति के लोग हर स्तर पर मदद के लिए तैयार हैं। सरकार ने अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन परियोजनाओं को फिलहाल रोक दिया है। यह गंगा के सवाल पर काशी के लोगों की एकजुटता का ही परिणाम है। यतीन्द्रनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि गंगा महज नदी नहीं बल्कि गंगा से जुडी करोडो-करोड लोगों की गहरी आस्था का है। वैसे भी गंगा मानवजाति के लिए प्रकृति का अद्भुत वरदान है। इसकी पवित्रता की रक्षा करना सबका दायित्व है। उन्होंने सरकार से कहा कि वह तपस्वियों के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे। इस दौरान गंगा की निर्मल व अविरल धारा सुनिश्चित कराने के लिए हर स्तर पर ोस व कारगर पहल करने का संकल्प लिया गया। छात्रों ने हाथों में गंगा हमारी माता है, सबकी जीवनदाता है, गंगा को बंधनमुक्त करो-मुक्त करो मॉ गंगा करें पुकार बंद करों यह अत्याचार आदि स्लोगन लिखे तख्तियां लेकर चल रहे थे। छात्रों का जुलूस केदारघाट तक गया। वहां जाकर छात्रों ने स्वामी जी को आंदोलन का समर्थन किया।