ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे - महामंत्र का अर्थ
इस मन्त्र को नवार्ण मंत्र भी कहा जाता है जो देवी भक्तों में सबसे प्रशस्त मंत्र माना गया है। इस मन्त्र के जाप से महासरस्वती, महाकाली तथा महालक्ष्मी माता की कृपा तथा आशीर्वाद प्राप्त होता है।
समस्त जगत परब्रह्म की शक्ति है तथा वस्तुतः ब्रह्म की सत् शक्ति के आधार पर भौतिक सृष्टि की प्रतीति हो रही है, चित्त में चेतन जगत् की प्रतीति, आनंद से जगत् में प्रियता की प्रतीति है। इस प्रकार जगत् सत्, चित्, आनंद रूप ही है, भ्रम से अन्य प्रतीत होता है।
ॐ - उस परब्रह्म का सूचक है जिससे यह समस्त जगत व्याप्त हो रहा है।
ऐं - यह वाणी, ऐश्वर्य, बुद्धि तथा ज्ञान प्रदात्री माता सरस्वती का बीज मन्त्र है। इस बीज मन्त्र का जापक विद्वान हो जाता है। यह वाक् बीज है, वाणी का देवता अग्नि है, सूर्य भी तेज रूप अग्नि ही है, सूर्य से ही दृष्टि मिलती है; दृष्टि सत्य की पीठ है, यही सत्य परब्रह्म है।
ह्रीं - यह ऐश्वर्य, धन ,माया प्रदान करने वाली माता महालक्ष्मी का बीज मंत्र है। इसका उदय आकाश से है । पीठ विशुद्ध में, आयतन सहस्रार में, किन्तु श्रीं का उदय आकाश में होने पर भी आयतन आज्ञाचक्र में है।
क्लीं— यह शत्रुनाशक, दुर्गति नाशिनी महाकाली का बीज मन्त्र है। इस बीज में पृथ्वी तत्व की प्रधानता सहित वायु तत्व है जोकि प्राणों का आधार है।
चामुण्डायै - प्रवर्ति का अर्थ चण्ड तथा निर्वृति का अर्थ मुण्ड है। यह दोनों भाई काम और क्रोध के रूप भी माने गए हैं। इनकी संहारक शक्ति का नाम ही चामुण्डा है। जो स्वयं प्रकाशमान है।
विच्चे - विच्चे का अर्थ समर्पण या नमस्कार है।
अत: सम्पूर्ण मन्त्र का अर्थ है -
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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