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देवी सावित्री का मंदिर ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा आध्यात्मिक स्थान

 

राजस्थान की पवित्र भूमि अजमेर के पास स्थित पुष्कर तीर्थ अपने आप में एक बहुत ही खास और दिव्य जगह मानी जाती है। भारत के प्रमुख तीर्थों में शामिल इस स्थान की महिमा बहुत पुरानी है। इसी पवित्र भूमि पर देवी सावित्री का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जो अपने ऐतिहासिक महत्व और गहरे आध्यात्मिक अनुभव के लिए जाना जाता है। यह मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि आस्था, विश्वास और पुरानी कथाओं का जीवंत रूप भी है।


मंदिर की पौराणिक कथा

मान्यता के अनुसार, सृष्टि की शुरुआत से पहले भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर की पवित्र भूमि पर हवन किया था। हवन के लिए पत्नी का साथ होना जरूरी था, लेकिन उस समय देवी सावित्री वहाँ मौजूद नहीं थीं। परिस्थितियों के चलते ब्रह्मा जी ने गाय की मुख से प्रकट हुई गायत्री से विवाह किया और हवन पूरा किया।

जब यह बात देवी सावित्री को पता चली, तो वे क्रोधित होकर रत्नागिरी पहाड़ियों की चोटी पर चली गईं और तप में लीन हो गईं। बाद में उसी स्थान पर उनका यह मंदिर स्थापित हुआ। यह कथा मंदिर को एक बहुत ही भावनात्मक और आध्यात्मिक पहचान देती है।


मंदिर का इतिहास और इसकी सुंदरता

सावित्री मंदिर का निर्माण वर्ष 1687 में रत्नागिरी पहाड़ियों की ऊँचाई पर किया गया था। यह मंदिर समुद्र तल से करीब 650 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।

मंदिर की खास बातें:

  • मंदिर का शिखर केसरी रंग में रंगा हुआ है, जो शक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है।

  • देवी सावित्री के साथ माँ सरस्वती भी विराजमान हैं।

  • भक्त यहाँ रोली, मोली, चुनरी और सुहाग की वस्तुएँ चढ़ाकर माताजी का आशीर्वाद लेते हैं।

  • श्रद्धालु सुखी दांपत्य जीवन, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

मंदिर तक पहुँचने का अनुभव

सावित्री मंदिर तक का सफर थोड़ा रोमांचक लगता है क्योंकि रास्ता पहाड़ियों के बीच से होकर जाता है। ऊपर तक पहुँचने में लगभग एक घंटा लगता है।
जिन्हें चढ़ाई कठिन लगती है, उनके लिए रोपवे (उड़न खटोला) की सुविधा भी उपलब्ध है। रोपवे से ऊपर जाते हुए पूरा पुष्कर शहर, झील और पहाड़ों का दृश्य देखने लायक होता है।
ऊपर पहुँचकर सामने फैला विशाल पुष्कर शहर और प्रकृति का शांत वातावरण मन को एक अलग ही सुकून देता है।


पुष्कर मेले की भव्यता

कार्तिक पूर्णिमा के समय लगने वाला पुष्कर मेला देश और विदेश में प्रसिद्ध है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ आते हैं।
सावित्री मंदिर की पहाड़ी से मेले का दृश्य और भी मनमोहक लगता है।
मेले में धार्मिक अनुष्ठान, लोक-संस्कृति, ऊँटों का व्यापार, संगीत, नृत्य और राजस्थान की रंगीन परंपराएँ देखने को मिलती हैं।
भक्त सावित्री माता के दर्शन कर अपनी यात्रा को पूर्ण मानते हैं।


क्यों है यह मंदिर इतना खास?

  • यह स्थान देवी सावित्री की तपस्थली है।

  • यहाँ की पौराणिक कथा मंदिर को एक अनोखा आध्यात्मिक स्पर्श देती है।

  • ऊँचाई से दिखाई देने वाला पूरा पुष्कर शहर मन को शांति देता है।

  • पास में स्थित ब्रह्मा मंदिर और पवित्र पुष्कर झील इस जगह की पवित्रता बढ़ाते हैं।

  • श्रद्धालु यहाँ अपने रिश्तों में सुख-शांति की कामना करते हैं।

देवी सावित्री का मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि यह इतिहास, आस्था और प्रकृति का सुंदर मेल है। रत्नागिरी पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर हर भक्त को एक अलग ही आध्यात्मिक अनुभव कराता है। यहाँ की शांत हवा, ऊँचाई से दिखता दिव्य पुष्कर और माँ सावित्री की कृपा—सब मिलकर इस स्थान को और भी पवित्र बना देते हैं।

जो लोग शांति, श्रद्धा और अध्यात्म की तलाश में हैं, उनके लिए यह मंदिर एक आदर्श स्थान है।

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