नानक कहते हैं,
हुकमी हुकमु चलाए राह।
देता है हुक्म, राह बताता है।
फिर भी,
नानक विगसै बेपरवाह।
लेकिन फिर भी बेपरवाह है। और परम आनंद में विकसित होता रहता है। खिलता रहता है उसका फूल।
कठिन है हमें। क्योंकि दो बातें हमें आसान दिखाई पड़ती हैं,
या तो हम परवाह करते हैं तो चिंता पैदा होती है, या परवाह छोड़ दें तो चिंता छूट जाती है।
इसीलिए तो हमने संसार और संन्यास को अलग-अलग कर लिया है।
क्योंकि अगर घर में रहेंगे,
परवाह करेंगे, तो परवाह करते हुए बेपरवाह कैसे होंगे ???
पत्नी की फिक्र होगी,
बीमार होगी तो चिंता पकड़ेगी, रात सो न सकेंगे। बच्चा रुग्ण होगा तो फिक्र पकड़ेगी,
चिंता पकड़ेगी, इलाज करना पड़ेगा। और नहीं ठीक हो सकेगा तो पीड़ा होगी।
तो हम भाग जाते हैं।
न दिखाई पड़ेंगे पत्नी-बच्चे, भूल जाएंगे। जो आंख से ओझल हुआ, वह चित्त से भी भूल जाता है। तो भाग जाते हैं पहाड़। पीठ कर लेते हैं। धीरे-धीरे विस्मृति हो जाएगी।
दो बातें हमें दिखाई पड़ती हैं। अगर हम संसार में रहेंगे तो परवाह करेंगे। परवाह करेंगे तो चिंता होगी। चिंता में आनंद का कोई उपाय नहीं। तो फिर हम ऐसा करें कि बेपरवाह हो जाएं। छोड़ कर भाग जाएं। वहां चिंता न होगी, तो आनंद की संभावना बढ़ेगी।
लेकिन यह परमात्मा का मार्ग नहीं।
इसलिए नानक गृहस्थ बने रहे और संन्यस्त भी। फिक्र भी करते रहे और बेफिक्र भी। और यही कला है, और यही साधना है कि तुम चिंता भी पूरी लेते हो और निश्चिंत बने रहते हो।
बाहर-बाहर सब करते हो, भीतर-भीतर कुछ नहीं छूता।
बेटे की फिक्र लेते हो,
पढ़ाते हो,
बिगड़ जाए तो,
न पढ़ पाए तो,
हार जाए तो...तो इससे चिंता पैदा नहीं होती।
और जब तक तुम दोनों को न जोड़ दो--संसार में रहते हुए संन्यस्त न हो जाओ--तब तक तुम परमात्मा तक न पहुंच सकोगे।
क्योंकि परमात्मा का भी ढंग यही है। वह संसार में छिपा हुआ और संन्यस्त है।
जो उसका ढंग है, छोटी मात्रा में वही ढंग तुम्हारा होना चाहिए। तभी तुम उस तक पहुंच पाओगे।
बच्चा बीमार है तो दवा दो, पूरी चिंता लो, लेकिन चिंतित होने की क्या जरूरत है ???
पूरी फिक्र करो, परवाह पूरी करो, लेकिन इससे भीतर की बेपरवाही को मिटाने का क्या कारण है ???
बाहर-बाहर संसार में, भीतर-भीतर परमात्मा में।
परिधि छूती रहे संसार को,Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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