जो अपने अंदर पवित्रता रखता है, उसके अंदर प्राकृतिक रूप से प्रेम पैदा हो जाता है। प्रेम से अर्थ स्नेह की प्रवृत्ति से है और इसी से प्रभु की प्राप्ति होती है।
अच्छा, समता और समान राज्य की स्थापना कौन कर सकता है।
जिन्होंने मानव और संस्कृति को जोडा, महल और जंगल में भेद मिटा दिया। नर को वन और बंदरों को भवन में नहीं बसाया, बल्कि दोनों को आपस में प्रेमी बनाया।