पुत्र अपने माता-पिता के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकता। स्वयं श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता से यही कहा है। जो पुत्र अपने माता-पिता की सेवा, आदर-सम्मान के साथ नहीं करता, वह चाहे जो भी हो नरक को प्राप्त होगा।
श्रीकृष्ण ने गोपियों को ज्ञान संदेश देने के लिए उद्धव जी को उनके पास भेजा था। पर गोपियों के निष्काम प्रेम ने उन्हें जीत लिया। अत: निष्काम भक्ति ही सर्वश्रेष् और भगवान की सुपात्रता प्राप्त करने का एकमात्र माध्यम है। कथा और सत्संग के बल पर ही रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त किया।