मां के आशीर्वाद से ही परमधाम संभव-
प्रयाग तीर्थ प्राचीन है। यह सिर्फ विस्मृत हो गया था जिसे गणिनीआर्यिकाज्ञानमतीमाता ने इसे पुर्नस्थापित किया है।
प्रयाग त्याग की भूमि है जहां भगवान ऋषभदेवसबसे पहले जेनैश्वरीदीक्षा धारण की और त्याग की परंपरा प्रारंभ की।