इंसान अपने आराध्य को भक्ति से ही प्राप्त कर सकता है, बिना भक्ति के प्रभु का दर्शन असंभव है। भक्ति में वो शक्ति है जो परमात्मा को स्वयं भक्त के पास आने को विवश कर देती है।
चंद्रमा के दो प्रकार हैं, एक कृति चंद्र, दूसरा भरत का यश चंद्र। इसमें कृति चंद्र सूर्य के समक्ष तेजहीनहो जाता है जबकि यशचंद्रसूर्य के तेज से अधिक प्रकाशवान होता है।
भक्त हनुमान जी जैसा होना चाहिए। हनुमान से बडा इस दुनिया में कोई भक्त नहीं है। उनकी भक्ति में त्याग व समर्पण है, इसी से वह प्रभु श्रीराम के सबसे प्रिय भक्तों में शुमार किए गए जाते हैं।