भगवान शिव स्वयं महाकाल है, जिसका अर्थ है काल से परे या काल से भी ऊपर। जो काल से भी ऊपर हो उसका जन्म कैसे हो सकता है। अगर जन्म ही नहीं होगा तो पिता कैसे होंगे। इसीलिए भगवान् शिव अजन्मा है, क्योंकि जन्म उनका होता है जो काल की परिमीत परिधि में आते है। इसीलिए सबका एक काल है, हज़ारो ब्रह्मा, करोडो इंद्र आदि देवता हुए, लेकिन शिव केवल एक ही है।हमारे पुराणों में सभी के समय की एक परिधी दी गयी है कि ब्रह्मा का एक दिन और एक वर्ष की इकाई क्या है, विष्णु की एक वर्षा और एक दिन की इकाई क्या है, और इन सब से संवत और युगों का निर्माण हुआ। लेकिन शिव केवल प्रलय लाते है, और इसीलिए सब कुछ नष्ट होने के बाद भी बने रहते है।