भगवान् शिव को भूतेश्वर, पशुपति नाथ, सोमेश्वर, नागेश्वर, भूतनाथ, कैलाश पति, गिरजापति, गणेश्वर, गंगाधर, इत्यादि भी कहा जाता है और उनके एक नाम पशुपति नाथ हैं. यानी सारे पशु भी उनके अधीन हैं या स्वयं भगवान् शिव ही उनके स्वामी हैं. भूत, प्रेत, पिसाच, चुड़ैल, किचिन, मृतात्मा के स्वामी भगवान् शिव ही हैं.
शेर बड़ा ही खूंखार पशु मना जाता है और इसके सामने सारे पशु एकमात्र हांथी को छोड़कर एकदम शांत हो जाते हैं, इस कारन यहाँ यह दिखाया जाता है की भगवान् शिव के सामने शेर जैसे खूंखार मांसहारी जीव भी पानी मांगता है. उसके खाल पर ही भगवान् शिव अपना कैलाश पर आसान लगाते है.
इसके पीछे एक शिव पुराण की कथा भी हैं. एक बार भगवान् शिव जंगल में माता उमा भवानी के सती होने पर एकांकी शिव वियोग में भटक रहे थे. अचानक भगवान् शिव अर्ध नग्न अबस्था में एक ऋषि के आश्रम में पहुंचे| भगवन शिव का ऋषि ने स्वागत किया. उस जंगल में बहुत से ऋषि मुनि रहते थे|
पर और उन सबकी पत्निया भगवान् शिव पर मोहित हो गयी| ( भगवन शिव के) रूप और अबस्था पर मोहित हो गयी. यह ऋषियों को गुप्ता बाते पता नहीं लगी की उनकी पत्निया भगवान् शिव पर मोहित हो गयी हैं. इस प्रकार एक दिन यह बाते ऋषियों को भी पता लग गया और उसने अपने कमंडल से जल फेका और एक खूंखार शेर परगट हुआ और वो भगवान् शिव पर लपका|
इस प्रकार भगवान् शिव ने शेर को सहज ही पकड़ लिया और उसे चिर दिया और उसके खाल लेकर चले गए और फिर उसी पर अपना आसान लगाए. इस प्रकार सारे ऋषि ने जब यह देखा तो वह भगवान् शिव के चरणों में गिर पड़े और अपने किये हुए के लिया छमा मांगी|