भजन में आदमी का रुचि न होना भी एक रोग है। इस बीमारी का उपचार संत, सद्गुरु के पास है। जब संत-गुरु कथा रूपी इलाज कर देते हैं तब मनुष्य का मन भगवत भजन में लगने लगता है। तब मन की भी शुद्धि हो जाती है। मूलत: सामाजिक विषमता को दूर करने का सशक्त माध्यम है यज्ञ।
ज्ञान बडा ही क िन है पचता नहीं, अगर पच गया तो प्रेम में परिवर्तित हो जाता है। प्रेम ही विश्व का भरण पोषण करने वाला है। जो विश्व का भरण पोषण करता है वही प्रेम अर्थात भक्ति है। गौ को माता कहते हैं ऐसा कौन सा गुण है जो गाय में नहीं, सभी गुण उसमें समाहित है। भाई जी ने कहा कि जो धर्म की रक्षा करेगा धर्म उसकी रक्षा करेगा।