जो व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है। जैसा कि गुरु और भगवान का आशीष फलता है उसी प्रकार माता-पिता का आशीर्वाद भी फलता है।
यदि आप अपने बेटे को श्रवण कुमार बनाना चाहते हैं तो अपने पति को भी इसकी शिक्षा दें। श्रवण कुमार का बेटा ही श्रवण कुमार हो सकता है। उन्होंने चार प्रकार के पुत्रों के बारे में बताया- अतिजात-जो अपने कुल के गौरव को बढाता है, अनुजात-जो कुल के गौरव को स्थिर रखता है,अवजात-जो कुल के गौरव को घटाता है एवं कुलागां-जो कुल की कीर्ति को नष्ट करता है। सद्गुरु कृपा से ही भक्ति संभव भक्त के हृदय में केवल भगवान ही बसा रहता है।
भक्ति केवल भगवान को जानकर ही शुरू होती है, जो सद्गुरु की कृपा से ही संभव है। इंसानों को मन के वशीभूत होकर गलत रास्ते पर नहीं चलना चाहिए, क्योंकि अंतकाल में सारा लेखा उन्हें ही लेकर जाना होगा। वर्तमान हालात पर प्रतिक्त्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज इंसान अपने दुखों से कम दूसरे के सुख को देखकर अधिक दुखी होता है।