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मूर्खता में है जीवन का आनंद

 

मूर्ख होना बहुत बड़ी बात है हर आदमी के बस का नहीं मूर्ख रहना ।

 जीवन हंसने-हंसाने का अवसर है।

आदमी खुद पर हंस नहीं सकता,

क्योंकि वह मूर्ख बनने से डरता है।

लेकिन मूर्खता में क्या खराबी है ?

ज्ञानी बनने की बजाय मूर्ख बनकर जीना ज्यादा बेहतर है।

सच्चा मूर्ख वह है

जो किसी बात को गंभीरता से नहीं लेता।

मूर्ख आदमी अकारण हँसता रहता है।

उसमें मिथ्या अहंकार नहीं होता।

वह सहज, सरल होता है।

यह बहुत बड़ा वरदान है।

क्योंकि हमारी जिंदगी इतनी बोझिल है,

कि हँसने के कारण खोजने जाएं

तो मिलने बहुत मुश्किल हैं।

जो अकारण हँस सकता है,

उसका जीवन मधुमास बन जाता है;

उसके जीवन में आनंद की फुलझड़ियाँ छूटती हैं।

अकारण ही |

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