राधा टीला वृन्दावन परिक्रमा मार्ग में ठाकुर जी का लीला स्थान है। यहाँ आप हजारो की संख्या में कई सारे तोते, मोर, और बहुत ही अद्भुत पक्षियों के दर्शन कर सकते हैं, और वो कोई साधारण पक्षी नही होते हैं वो सभी श्यामा जू के भक्त होते हैं।
राधाटीला में आज भी श्यामा-श्यामजू लीला करने पधारते हैं। इसलिये निधिवन और सेवा कुँज की तरह संध्या के बाद यहाँ के दर्शन भी बन्द कर दिये जाते हैं। दिन के समय श्यामा श्याम जी पेड़ का रूप धारण कर लेते हैं और संध्या में पुनः अपने स्वरूप में प्रकट होते हैं। आज भी हम ये दर्शन राधाटीला में कर सकते हैं। वहाँ दिन में जो पेड़ का स्वरूप धारण करते है वो एक ही जड़ से निकले हुए दो पेड़ हैं। एक जड़ में से निकले हुए होने के बाद भी एक पेड़ सफेद और एक पेड़ श्याम वर्ण का है। जो स्वयं श्यामा श्याम जी हैं।
एक समय जब श्यामा श्याम जी जब रास कर रहे थे तो ठाकुर जी के भक्त गोपियों को भूख लगने लगी। तब वहाँ खीर का भोग तो था, परन्तु सभी खीर खाये कैसे ? तब कान्हा जी ने एक पेड़ के पत्ते को लिया और उसे दोने का आकार दिया। फिर सभी ने मिलकर ठाकुर जी के द्वारा बनाये हुए दोनों में खीर ग्रहण कर अपनी भूख शान्त की। ठाकुर जी की लीला वश आज भी उस पेड़ में दोने के आकार में पत्ते आते हैं। ये दर्शन हम राधाटीला में कर सकते है।