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राम का नाम

 
  1. राम नाम मणिदीप धरु जीय देहरी द्वार,
    तुलसी बाहर भीतर सों , जो चाहसि उजियार।
    राम का नाम भवसागर से पार उतरने का सहारा है तो जरूर पर कब ? किस प्रकार राम का नाम लें ?
  2. राम नाम सब कोई कहे, दशरथ अस कहे न कोय,
    जो एक बार दशरथ अस कहे, तो जनम सवारथ होय।
    दशरथ ने नाम कैसे लिया था ? दशरथ ने राम का नाम दिल से लिया था। राम के वियोग में उनके प्राण बिना पानी के मछली की तरह तड़प रहे थे और उस वियोग में उन्होंने अंत में शरीर त्याग दिया |
  3. राम राम कहि राम कहि, राम राम कहि राम,
    राम राम कहि राम कहि राव गयऊ सुर धाम।
    हमारे हृदय में भी राम के प्रति, ईश्वर के प्रति, अपने इष्ट देवी देवता के प्रति जब हूक उठने लगे, गुरु नानक के शब्दों में -
    राम खुमारी नानका, चढ़ी रहे दिन रात। अर्थात राम भक्ति का नशा चढ़ जाये तो राम का नाम लेना सचमुच में सार्थक हो जायेगा। अन्यथा इस संसार में सामान्य जन अधिकांशतः -
    राम नाम जपना, पराया माल अपना के सिद्धांत के अनुसार ही राम नाम लेते हैं। हम सच्चे अर्थों में रामभक्त बनें|
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