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राम नाम आराधना ही एकमात्र शक्ति

 

वर्तमान युग में राम नाम आराधना ही एकमात्र शक्ति है। सत् चरित्र ही जीवन में भक्ति और शक्ति को प्रदान करने वाला है।

 तुलसीदास के अनुसार कलयुगमें जो भी व्यक्ति सुख और आनंद चाहते हैं, उन्हें राम की शरणागति लेनी चाहिए। भगवान की कृपा से मनुष्य को वो सभी दुर्लभ वस्तुएं प्राप्त हैं, जो स्वर्ग में देवताओं को भी दुर्लभ हैं। जैसे शक्ति और सद्भक्तिउसके बाद भी मात्र अज्ञान के कारण ही व्यक्ति माया में खोकर दुख और क्लेश से युक्त रहता है पर भगवान राम का चरित्र बताता है कि किस प्रकार मानव मात्र को क िनाइयों का सामना भक्ति और शक्ति से करना चाहिए।

दर्शन का अर्थ होता है कि भगवान के दर पर जाकर सन जाना जैसे आटा पानी में सन जाने के बाद पानी और आटे को अलग नहीं किया सकता है, उसी प्रकार मंदिर में दर्शन जाते समय भगवान और भक्त का मिलन ऐसा ही होना चाहिए जिससे वे कभी अलग नहीं हो पाएं। परमात्मा के नाम का श्रवण करने, मनन करने, चिंतन करने और सुमिरन करने से कलयुगमें संसार रूपी भव से आसानी से पार जाया जा सकता है।

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