भारतीय सवतंत्रता संग्राम में भगत सिंह और सुखदेव के साथ अपने प्राणो का बलिदान देने वाले महान क्रन्तिकारी राजगुरु से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां निम्नलिखित है।
1. राजगुरू का पूरा नाम शिवराम हरी राजगुरू था और उनका जन्म पुणे के निकट खेड़ में हुआ था।
2. राजगुरू, छत्रपति शिवाजी और उनकी गुरिल्ला युद्ध पद्धति से काफी अधिक प्रभावित थे।
3. शिवराम हरि राजगुरू बहुत ही कम उम्र में वाराणसी आ गए थे जहां उन्होंने संस्कृत और हिंदू धार्मिक शास्त्रों का अध्ययन किया था। वाराणसी में ही वह भारतीय क्रांतिकारियों के साथ संपर्क में आए। स्वभाव से उत्साही राजगुरू स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने के लिए इस आंदोलन में शामिल हुए और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के सक्रिय सदस्य बन गए।
4. राजगुरू महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसक आंदोलनों में विशवास नहीं रखते थे। सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस लेने पर उनका यह विशवास और भी अधिक दृढ हो गया था। राजगुरु का मानना था कि ब्रिटिश शासन द्वारा किये जा रहे भारतीयों के उत्पीड़न और क्रूरता के खिलाफ उन्ही की भाषा में प्रतिकार करना चाहिए। इसीलिए राजगुरु हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी में शामिल हुए थे, जिसका लक्ष्य भारत को किसी भी आवश्यक माध्यम से ब्रिटिश शासन से मुक्त करना थाl उन्होंने भारत की जनता को अंग्रेजों के क्रूर अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए इच्छुक नवयुवकों को इस क्रांतिकारी संगठन में शामिल होने का आग्रह किया।
5. राजगुरू को उनकी निडरता और साहस के लिए भी जाना जाता है। उन्हें भगत सिंह की पार्टी (हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी) के लोगों द्वारा “गनमैन” के नाम से पुकारा जाता था।
6. इस महान स्वतंत्रता सेनानी के जन्मस्थान खेड़ का नाम बदलकर उनके सम्मान में राजगुरूनगर कर दिया गया है। हरियाणा के हिसार में भी उनके नाम पर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का नाम रखा गया है।