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शिवप्रिया, विजया अर्थात भंग नशा नहीं अपितु एक दिव्य औषधि

 
सामान्यतः भारत में भांग या भंग को एक नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है। इसको नशे और व्यसन के रूप में देखा जाता है, हालांकि भगवान् शिव का प्रसाद मानी जाने वाली भांग के अनेक स्वास्थ्य प्रदायक महत्त्व भी है जिनका वर्णन पुराणों में भी मिलता है। शिवप्रिया, विजया, भंग आदि नमो से पहचाने जाने वाली भांग को अंग्रेजी में हेम्प के नाम से जाना जाता है। यहां इसके कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग और उनसे होने वाले स्वास्थ्य लाभ बताये गए है।  
 
- भांग के पत्ते मसल करके इसके रस की कान में दो दो बूंद डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
- सर के दर्द में इसके पत्ते पीस कर सूंघने या इसका दो दो बूंद रस नाक में डालने से लाभ होता है।
- इसके एक चुटकी चूर्ण में पीपर, काली मिर्च व सौंठ मिलकर सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है।
- नपुंसकता और शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के लिए भांग के बीजों को भूनकर चूर्ण बना कर एक चम्मच नित्य सेवन करना चाहिए।
- अफगानिस्तान के पठान इसके बीजों का सेवन करते है जिसके कारण उनके शरीर लंबे चौड़े होते है।
- संधिवात नामक बीमारी में भी भांग के भुने हुए बीजों का चूर्ण अत्यंत लाभकारी होता है।
- यह वायु मंडल को शुद्ध करने में भी भांग के पौधे लाभकारी होते है।
- इसका उपयोग पेपर, कपड़ा इत्यादि बनाने में भी बहुतायत किया जाता है।
- इससे बनाया गया कपड़ा कैंसर नाशक माना जाता है।
- यह कई भयंकर बीमारियों जैसे टीबी, कुष्ठ, एड्स, कैंसर, दमा, मिर्गी, मानसिक रोग आदि इलाज में भी प्रयोग की जाती है।
- सिद्ध आयुर्वेद में भी इसका बहुत महत्व बताया गया है। यह सबसे पहले सूक्ष्म शरीर पर कार्य करता है।
- तपस्वी तथा ऋषि मुनियो के द्वारा भी साधना के दौरान इसका उपयोग किया जाता है।
- इसका सेवन से भूख प्यास भी कम लगती है तथा डिप्रेशन भी नहीं होता।
- भांग का प्रयोग शरीर के विजातीय तत्वों या टॉक्सिंस को दूर करने में भी किया जाता है।
- इसके बीजों का चूर्ण, ककड़ी के बीजों के चूर्ण के साथ शर्बत की तरह पीने से सभी मूत्र रोग ठीक हो जाते है।
- यह ग्लूकोमा में आंख की नस से दबाव को हटाने में अत्यंत लाभकारी होता है।
- अलजाइमर रोग में भी भांग का तेल फायदेमंद है।
- भांग का तेल कैंसर के ट्यूमर की कोशिकाओं की वृद्धि पर विराम लगा देता है।
- इसके प्रयोग से कीमोथेरेपी से होने वाले साइड इफेक्ट दूर हो जाते है।
- डायबिटीज के कारण होने वाले नर्वस की हानि से भी भांग बचाता है।
- भांग हेपेटाइटिस सी के इलाज में बहुत कारगर औषधि है।
- गाजर घास जैसी विषैली खरपतवारों को भी भांग के पौधे बढ़ने से रोक सकते है।
- डायरिया और डिसेंट्री के उपचार में प्रयोग होने वाले बिल्वादी चूर्ण में भांग का भी प्रयोग होता है।
- इसकी पत्तियों के चूर्ण को सूंघने भर से नींद बहुत अच्छी आती है।
- संग्रहनी या कोलाइटिस में इसका चूर्ण सौंफ और बेल की गिरी के साथ सेवन किया जाता है।
- इसके पत्ते पीस कर बांधने से हाइड्रोसिल में शीघ्र लाभ मिलता है।
- भांग के बीजों को यदि सरसो के तेल में पका कर छाना गया तेल दर्द निवारक तेल के रूप में प्रयोग होता है।
- इसके पत्ते डाल कर उबाले गए पानी से चोट के घाव धोने से इंफेक्शन नहीं फैलता है और घाव भी जल्द ही भर जाता है।
 
 इतने सारे गुण होते हुए भी कुछ भ्रांतियों के चलते आम परचलन में भांग का प्रयोग बहुत कम हो गया है। हालाँकि यह ज्योतिर्लिंगों और भारत के कुछ राज्यों में प्रतिबंधित नहीं है। इसका प्रयोग भगवान् शिव की पूजा में शिवरात्रि, श्रावण मास आदि के समय देखने को मिलता है। इसका प्रयोग शिवपूजा में शिव के प्रसाद स्वरुप अर्पण करने में किया जाता है। इसके अद्भुत गुणों के कारण भांग को काला सोना भी कहा जाता है। विदेशों में इसके उपर बहुत शोध हुए है और इसका प्रयोग भी हो रहा है। यह ड्रग्स की श्रेणी में नहीं आता है क्योंकि भांग एक औषधि है। इसे अंग्रेज़ी में हेंप कहा जाता है। 

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