गुरु के सानिध्य में रहकर ही आध्यात्मिक विकास हो सकता है। जीवन में परिस्थितियां कैसी भी आएं, लेकिन गुरु व परमात्मा के रिश्ते कभी नहीं टूटते। असल में सद्गुरु ही सच्चा साथी है, जो संकट की घडी में भी कृपा दृष्टि रखता है।
गुरु व परमात्मा के प्रति समर्पित होकर जो आनंद मिलता है, वह बयान नहीं किया जा सकता। इसलिए गुरु के रुतबे को समझने क जरूरत है। जो भी गुरु से जुड गया, समझ लो उसका उद्धार हो गया।