आदमी के भीतर कोई ना कोई चिंतन और किसी ना किसी का संग चलता ही रहता है। यदि चिंतन और संग करना ही है तो क्यों ना श्रेष्ठ का किया जाए। दुनिया में ऐसे व्यक्ति बहुत हैं जो बिना प्रयोजन का चिंतन और संग करके अपना दिमाग और समय दोनों ख़राब करते रहते हैं।
अच्छे चिंतन और संग से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दुनिया ऐसे बहुत व्यक्तियों से भरी पड़ी है जिनका पूर्व जीवन दुष्प्रवृत्तियों से भरा रहा लेकिन कालांतर में सही संगति और सही वातावरण से ना केवल उन्होंने स्वयं का उद्धार किया अपितु लाखों लोगों के लिए वे प्रेरणास्रोत भी बने।
सही मार्गदर्शन सही समय पर और सही व्यक्ति के द्वारा मिले तो परिणाम भी श्रेष्ठ निकलता है। सत्प्रवृत्तियाँ अच्छे माहौल में ही जन्म लेती हैं। यदि परिस्थितियाँ आप पर हावी हो रही हैं तो असहाय मत बनो। सद साहित्य को अपना साथी बनालो और अपने विचारों को दृढ़ संकल्प में बदल कर शून्य से शिखर तक पहुँच जाओ।