सुंदर जीवन बनाने के लिए सुंदर मन की आवश्यकता है। यदि मन पवित्र, स्वस्थ्य तथा मजबूत है तो जीवन स्वयं ही सुंदर और आनंदमय बन जाता हैं। मन शरीर को नियंत्रित करता है और इस प्रकार हमारे कर्मो को निर्धारित करता है। हमारा व्यवहार ही प्रशंसा व निंदा का कारण बनता है।
गुरु, पीर, पैगम्बरों तथा धार्मिक ग्रंथों ने अपना संदेश मन को ही दिया है। मन वाहन में स्टेयरिंग की भांति है। मन ही मानव को इधर-उधर घुमाता है अथवा सुरक्षित रूप से लक्ष्य पर पहुंचाता है। जब मन को पथ का ज्ञान हो जाता है तब लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य ही हो जाती है।
प्राचीन एवं वर्तमान धर्मगुरु मन को सत्य एवं ईश्वर के ज्ञान से रोशन करने का निरंतर संदेश देते रहते हैं। दिव्य प्रकाश अज्ञानता के अंधकार को मिटा देता है। यह भ्रम भ्रांतियों को समाप्त कर सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त कर देता है। प्रकाशित मन कर्मो को सुंदरता प्रदान करता है जिसके फलस्वरूप मानव लोक एवं परलोक में आनंदमय रहता है। आत्मा को जन्म मरण के चक्कर से मुक्ति मिलती है और मानव आनन्दमय जीवन व्यतीत करता है।
कोई नहीं जानता कि काल का संदेश कब आ जाए।