मानव का स्वभाव व प्रवृत्ति पिछले जन्म पर आधारित है। संसार में लोग सिर्फ स्वार्थ की खातिर लगे हुये हैं लेकिन हमें परमात्मा का सानिध्य पाने के लिये स्वार्थ को त्यागना होगा। इसी में कल्याण निहित है।
बचपन से ही मेरे मन में ईश्वर और बुजुर्गोके प्रति आस्था थी। पढाई के दौरान गुरू द्वारा बताये गये महात्मा गांधी के आदर्श वाक्य किसी की बुराई मत सुनो, किसी बुराई मत देखो, किसी की बुराई मत करों का मेरे बाल जीवन में विशेष छाप पडा। वहीं गुरूनानकके बताये मार्ग पर चलकर हमें ईश्वर का साकार रुपदेखने को मिला। एक सवाल के जबावमें उन्होंने कहा कि सभी महापुरुष हमारे लिये आदर्श हैं। जिस धन को हमें पाने की चाहत थी उसे हमने पा लिया है। संसार बटा हुआ है। हमें सबको एक भाव से देखना चाहिए। परमतत्व की प्राप्ति के लिये हमें परमात्मा का ध्यान करना चाहिए।