कोई भी व्यक्ति गलत काम क्यों करता है , उसके दो मुख्य कारण हैं । एक स्वार्थ और दूसरा मूर्खता। जब जब व्यक्ति में स्वार्थ और मूर्खता जागती है, तब तब वह गलतियां करता है, और फिर बाद में उसका दंड भी भोगता है।
यदि व्यक्ति स्वार्थ को दबा कर रखे और मूर्खता भी छोड़ दे, बुद्धिमत्ता से तथा विद्या से कार्य करे, तो वह बहुत सी गलतियों से बच सकता है ।
परंतु प्रश्न यह होगा कि वह ऐसा क्यों करे? जो मूर्खता और स्वार्थ चल रहा है उसे क्यों छोड़े?
इस प्रश्न का उत्तर है कि यदि मूर्खता और स्वार्थ को नहीं छोड़ेगा, तो गलतियां करेगा । गलतियां करेगा तो उनका दंड भी मिलेगा । उन गलतियों का दंड माता-पिता गुरुजन पंचायत समाज राजा या ईश्वर , इनमें से कोई ना कोई अवश्य देगा। यदि समाज और राजा ने दंड नहीं दिया , तो अंत में ईश्वर तो अवश्य देगा ।
इसलिए लोग समाज और राजा की नजर से बचकर गलतियां करते हैं । उस समय वे लोग यह भूल जाते हैं कि आप कितना भी समाज और राजा से बचने का प्रयास करें, कितना भी एकांत में जाएं, तब भी ईश्वर तो वहां है ही। वह चेतन है सर्वव्यापक है, सर्वज्ञ है न्यायकारी है, सब कुछ देखता है । ठीक समय पर दंड देगा ।
इतना यदि समझ में आ जाए तो व्यक्ति गलतियां नहीं करेगा क्योंकि वेदों का यह सिद्धांत है, दंड के बिना कोई सुधरता नहीं है।