- सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए रविवार को प्रातः सूर्य को अर्घ्य दें तथा जल में लाल चंदन घिसा हुआ, गुड़ एवं सफेद पुष्प भी डाल लें तथा साथ ही सूर्य मंत्र का जप करते हुए 7 बार परिक्रमा भी कर लें।
- चंद्र ग्रह के लिए हमेशा बुजुर्ग औरतों का सम्मान करें व उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। चंद्रमा पानी का कारक है। इसलिए कुएं, तालाब, नदी में या उसके आसपास गंदगी को न फैलाएं।
- सोमवार
के दिन
चावल व
दूध का
दान करते
रहें।
- मंगल के
लिए हनुमान
जी को
लाल चोला
चढ़ाएं,
मंगलवार के दिन सिंदूर एवं चमेली का तेल हनुमान
जी को अर्पण करें। इससे हनुमान
जी प्रसन्न होते हैं। यह प्रयोग केवल पुरुष
ही करें।
- बुध ग्रह
के लिए
तांबे का
एक सिक्का
लेकर उसमें
छेद करके
बहते पानी में बहा दें। बुध को अपने अनुकूल करने
के लिए बहन, बेटी व बुआ को इज्जत दें व
उनका आशीर्वाद लेते रहें। शुभ कार्य (मकान
मुर्हूत) (शादी-विवाह) के समय बहन व
बेटी को कुछ न कुछ अवश्य दें व
उनका आशीर्वाद लें। कभी-
कभी (नपुंसक) का आशीर्वाद
भी लेना चाहिए।
- बृहस्पति ग्रह
के लिए
बड़ों का
दोनों पांव
छूकर
आशीर्वाद लें। पीपल के वृक्ष के पास
कभी गंदगी न फैलाएं व जब
भी कभी किसी मंदिर, धर्म
स्थान के सामने से गुजरें तो सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर जाएं।
बृहस्पति के बीज मंत्र का जप करते रहें।
- शुक्र ग्रह
यदि अच्छा
नहीं है
तो पत्नी व पति को आपसी सहमति से
ही कार्य करना चाहिए। व जब घर बनाएं
तो वहां कच्ची जमीन अवश्य रखें
तथा पौधे लगाकर रखें। कच्ची जगह शुक्र
का प्रतीक है। जिस घर में
कच्ची जगह
नहीं होती वहां घर में स्त्रियां खुश
नहीं रह सकतीं।
यदि कच्ची जगह न हो तो घर में गमले अवश्य
रखें जिसमें फूलों वाले पौधे हों या हरे पौधे हों। दूध वाले पौधे
या कांटेदार पौधे घर में न रखें। इससे घर की महिलाओं
को सेहत
संबंधी परेशानी हो सकती है।
- शनि ग्रह
से पीड़ित
व्यक्ति को
लंगड़े
व्यक्ति की सेवा करनी चाहिए।
चूंकि शनि देव लंगड़े हैं तो लंगड़े, अपाहिज
भिखारी को खाना खिलाने से वे अति प्रसन्न होते हैं।
- राहु ग्रह
से पीड़ित
को कौड़ियां
दान करें। रात
को सिरहाने कुछ मूलियां रखकर सुबह उनका दान कर दें।
कभी-कभी सफाई
कर्मचारी को भी चाय के लिए पैसे देते
रहें।
- केतु ग्रह
की शांति
के लिए
गणेश
चतुर्थी की पूजा करनी चाहिए।
कुत्ता पालना या कुत्ते
की सेवा करनी चाहिए
(रोटी खिलाना)। केतु ग्रह के लिए काले-सफेद कंबल
का दान करना भी फायदेमंद है। केतु-ग्रह के लिए
पत्नी के भाई (साले), बेटी के पुत्र
(दोहते) व बेटी के पति (दामाद)
की सेवा अवश्य करें। यहां सेवा का मतलब है जब
भी ये घर आएं तो इन्हें इज्जत दें।