मोर पंख का संबंध केवल श्रीकृष्ण से नहीं, बल्कि अन्य देवी-देवताओं से भी है। शास्त्रों के अनुसार मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास है। सही विधि से मोर पंख को घर में स्थापित किया जाए तो वास्तु दोष दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं।
जानिए सभी नौ ग्रहों के दोष दूर करने के लिए मोर पंख के उपाय--
उपाय- यदि आप कुंडली में स्थित ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर करना चाहते हैं या आपको मंगल शनि या राहु केतु बार-बार परेशान करते हों तो मोर पंख को 21
बार मंत्र सहित पानी के छीटे दीजिए। इसके बाद मोर पंख को घर में किसी श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित कीजिए। यहां जानिए किस ग्रह के लिए कौन सा मंत्र जपना चाहिए...
(1)- सूर्य के लिए उपाय:-
रविवार के दिन नौ मोर पंख ले कर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें।
(2)- चंद्र के लिए उपाय:-
सोमवार को आठ मोर पंख ले कर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- पांच पान के पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं ।
(3)- मंगल के लिए उपाय:-
मंगलवार को सात मोर पंख ले कर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें...
ऊँ भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- दो पीपल के पत्तों पर चावल रख कर मंगल देव को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।
(4)- बुध के लिए उपाय:-
बुधवार को छ: मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- जामुन बुद्ध ग्रह को अर्पित करें। केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।
(5)- गुरु के लिए उपाय:-
गुरुवार को पांच मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें। बेसन का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
(6)- शुक्र के लिए उपाय:-
शुक्रवार को चार मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें। गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
(7)- शनि के लिए उपाय:-
शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें !
ऊँ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- तीन मिटटी के दिये तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें। गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं ।
(8)- राहु के लिए उपाय:-
शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें !
ऊँ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- चौमुखा दिया जला कर राहु को अर्पित करें। - कोई भी मीठा प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
(9)- केतु के लिए उपाय:-
शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21
बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- पानी के दो कलश भर कर राहु को अर्पित करें। - फलों का प्रसाद चढ़ाएं। घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें।