पढ़ाई में अव्वल हो, अच्छे नंबर आएं, परीक्षा में सफलता मिले वगैरह-वगैरह, ऐसी चाहत हर विद्यार्थी की होती हैं। लेकिन कभी-कभी मेहनत के बावजूद कुछ छात्र असफल भी हो जाते हैं। अगर आप भी परीक्षा में सफल होना चाहते हैं, तो मेहनत के साथ-साथ कुछ सामान्य उपाय करके शिक्षा के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। अक्सर ये देखा गया है कि स्टूडेन्ट्स घंटो बैठ कर पढ़ाई करते हैं लेकिन उनका रिजल्ट संतोषजनक नही होता।अगर आपके बच्चों के साथ भी ऐसा होता है, तो हो सकता है इसमें बच्चों की कोई गलती न हों, क्योंकि वास्तु के अनुसार बच्चों के लिए उनकी राशि के अनुसार पढ़ाई करने की दिशा बताई गई हैं। अगर स्टूडेन्ट्स अपनी राशि के अनुसार स्टडी रूम में बैठकर पढ़ाई करें तो उनको अपनी मेहनत के पूरे परिणाम मिलने लगेंगे।
हर छात्र की कामना होती है, कि वह परीक्षा में न केवल उत्तीर्ण हो, बल्कि उसे अच्छी सफलता भी मिले। प्रयास तो सभी करते हैं मगर इनमें से कुछ लोग ही सफल होते हैं। कई छात्रों की समस्या होती है कि कड़ी म्हणत करने के बावजूद आपेक्षित परिणाम नहीं मिल पते हें…आइये जाने की इस समस्या से केसे पायें छुटकारा—
किस दिशा में बैठकर करें पढाई–
विद्यार्थियों को अध्ययन करते समय अपना मुंह हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और पढ़ाई में ध्यान लगा रहता है। विद्यार्थियों को ऐसे स्थान पर पढ़ाई नहीं करनी चाहिए, जहां पर बाहर की वायु का प्रवाह सीधे आप पर पड़ता हो, अर्थात् द्वार या खिड़की के समीप बैठकर नहीं पढ़ना चाहिए। क्योंकि खुले द्वार और खिड़की पढ़ाई में एकाग्रता प्रदान नहीं करते।
मेष- इस राशि के विद्यार्थियों को अपनी राशि के अनुसार पूर्व दिशा में अपना स्टडी रूम रखना चाहिए।
वृष- पूर्व-दक्षिण (आग्रनेय कोण) में बना स्टडी रूम, वृष राशि वालों के लिए लाभदायक रहेगा।
मिथुन- बुध देव की राशि के छात्रों को उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण) में अपना स्टडी रूम रखना चाहिए।
कर्क- उत्तर दिशा इस राशि वालों के लिए लाभदायक रहेगी।
सिंह- पूर्व-दक्षिण दिशा (आग्रनेय कोण) में पढ़ाई करने से इस राशि वालों को अच्छे परिणाम मिलेंगे।
कन्या- दक्षिण दिशा कन्या राशि वालों के लिए उपयुक्त रहेगी।
तुला- पश्चिम दिशा में पढ़ाई करने से तुला राशि वालों को हमेशा लाभ मिलेगा।
वृश्चिक- उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण) वृश्चिक राशि वालों के लिए अनुकूल परिणाम देने वाली रहेगी।
धनु- इस राशि वालों को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान्य कोण) में अपना स्टडी रूम रखना चाहिए।
मकर- शनि की राशि वालों को अपनी राशि के अनुसार दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में पढ़ाई करना चाहिए।
कुंभ- कुंभ राशि वालों के लिए पश्चिम दिशा पढऩे के लिए अनुकूल रहेगी।
मीन- इस राशि वालों के लिए उत्तर दिशा अच्छा फल देने वाली रहेगी।
ब्रह्म मुहूर्त में करें पढ़ाई————–
ब्रह्म मुहूर्त पढ़ाई के लिए बेहतर माना जाता है। कहते हैं, इस समय में उठकर अध्ययन करने से विषय का ध्यान लंबे समय तक विद्यार्थियों के जेहन में ताजा रहता है। इसलिए संभव हो तो देर रात तक पढ़ाई करने के बजाय ब्रह्म मुहूर्त में ही पढ़ाई करें। ब्राह्मी बूटी को गले में धारण करने या सेवन करने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन से एकाग्रता भी आती है। जब आपका सूर्य स्वर (दायां स्वर) नासिका चल रहा हो, तब कठिन विषय का अध्ययन करें, तो वह शीघ्र याद हो जाएगा। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
कमरे में हरे परदे लगाएं————
जहां आप पढ़ते हों, उस कमरे में हरे रंग के परदे का इस्तेमाल करें, इससे मन को शांति मिलती है। साथ ही एकाग्रता भी आती है। जिन विद्यार्थियों को परीक्षा में उत्तर भूल जाने की आदत हो, उन्हें परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाते हैं।
किताब में रखें मोरपंख————-
कठिन विषय की पाठ्य पुस्तकों में गुरु वार के दिन मोरपंख रखें। इससे पाठ जल्द याद होते हैं। स्वर शास्त्र के अनुसार, जो स्वर चल रहा हो, परीक्षा के लिए जाते हुए वही पैर घर से निकालें। इसी प्रकार परीक्षा कक्ष में प्रवेश करते समय भी चल रहे स्वर का ध्यान रखकर प्रवेश करें। इससे अनुकूलता सिद्ध होगी और सफलता मिलेगी। खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करना चाहिए। इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे।
कोने में बैठने से बचें————–
कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए। विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती। विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
बुधवार को कमरे में रखें हकीक—————
अगर अध्ययन के प्रति एकाग्रता कम हो रही हो, तो नवग्रहों के रंग के अनुसार नौ सुलेमानी हकीक हरे रंग के कपड़े में बांधकर विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष में रखना चाहिए तथा प्रत्येक बुधवार उन्हें देखकर पुनः बांध देना चाहिए। इससे पढ़ने में मन लगने लगता है। विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष के पूर्व की दिशा में सरस्वती देवी का चित्र अवश्य लगाना चाहिए। इसके अलावा अध्ययन कक्ष की मेज पर खेलने का समान मसलन, शतरंज, ताश आदि नहीं रखने चाहिए।
कमरे के द्वार पर नीम की डाली———–
इसके अलावा विद्यार्थियों को सफलता पाने के लिए अपने कक्ष के द्वार पर नीम की डाली लगानी चाहिए। इससे घर में शुद्ध हवा आती है और सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है। उपर्युक्त उपाय छात्रों के लिए हैं। इनको आजमाकर वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। हां, इसके साथ-साथ आपको अपनी परीक्षा में सफल होने के लिए मेहनत भी करनी होगी।
पढ़ाई में मन न लगे तो करें यह उपाय—
पढ़ाई की ओर मन नहीं जाता है। मन मारकर पढ़ने बैठते हैं तो मन में दस तरह की बातें आने लगती और पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति व्यक्ति के साथ तब होती है जब जन्मपत्री में ग्रहों की स्थिति खराब चल रही होती है। इस स्थिति में मन को केन्द्रित करके पढ़ाई की ओर ध्यान लगाने के लिए रिडिंग टेबल पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर श्री यंत्र स्थापित करें।
जब भी पढ़ने बैठे तब श्री यंत्र पर ध्यान केन्द्रित करके ‘ओम भवाय विद्यां देहि देहि ओम नमः’ इस मंत्र का 21 बार जप करें। कुछ ही दिनों में पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ने लगेगी और जो भी पढ़ेंगे उसे लम्बे समय तक याद रख पाएंगे।
पूर्व दिशा की ओर मुख—-
अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे। कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए।
विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती।
विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
ध्यान रखें की खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करें —
इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर आप खाना खाते हुए पढ़ाई करते हैं तो समझ लीजिए आपका ज्ञान बढ़ नहीं रहा है बल्कि आप ज्ञान और आयु दोनों को नष्ट कर रहे हैं। यही कारण है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि खाना और पढ़ना दोनों साथ-साथ नहीं करना चाहिए। इस विषय में महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा हुआ है कि ‘जो मनुष्य जूठे मुंह खाना पढ़ता है अथवा जूठे मुंह उठकर इधर-उधर जाता है यमराज उसकी आयु कम कर देते हैं तथा उसके बच्चों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह से पढ़ाई करने से जो भी पढ़ते हैं वह लम्बे समय तक याद नहीं रह पाता है और जरूरत के समय ऐसी शिक्षा काम नहीं आती है।