घर में किचन सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसे घर की आत्मा कहा जाता है क्योंकि यहीं भोजन बनता है जिससे घर में रहने वाले लोगों को आहार मिलता है। वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा भगवान के खजांची कुबेर का स्थान होता है। इस दिशा का प्रतिनिधि ग्रह बुध है। वास्तुविज्ञान के अनुसार यह दिशा शुद्घ और वास्तु से मुक्त होने पर व्यक्ति को मातृ पक्ष एवं माता से सुख मिलता है। यह दिशा वास्तु पीड़ित होने पर माता को कष्ट होता है। आर्थिक एवं कई प्रकार की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना होता है। घर को वास्तु दोष से मुक्त रखने के लिए घर बनाते समय उत्तर दिशा से संबधित इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
कारण -परिवार में कलह का —
वास्तु विज्ञान के अनुसार घर में किचन उत्तर दिशा में होने पर वैवाहिक जीवन में परेशानी आती है। घर में रहने वाली स्त्रियों में आपसी तालमेल की कमी होती है। इसी प्रकार स्नानगृह उत्तर में होने पर माता एवं पत्नी से मनमुटाव रहता है जबकि भाईयों में आपसी प्यार बना रहता है। पूजा घर उत्तर में होने पर परिवार की स्त्रियों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना होता है। विशेषतौर पर माता को कष्ट होता है।
होता हें आर्थिक नुकसान—
यह दिशा कुबेर का है। इसलिए इस दिशा को साफ सुथरा रखना चाहिए। इस दिशा में स्टोर बनाने या कबाड़ रखने पर धीरे-धीरे संपत्ति नष्ट होती चली जाती है। उत्तर दिशा में जल रखने से धन का आगमन बना रहता है। इससे घर में रहने वालों की बौद्घिक क्षमता एवं अन्तर्दष्टि बढ़ती है।
उत्तर दिशा को ऐसे वास्तु मुक्त बनाएं —-
उत्तर दिशा का कारक ग्रह बुध है इसलिए इस दिशा में तोता पालें या तोते की तस्वीर लगाएं। इस दिशा की दीवार को हरे रंग से पेंट कराएं। पूजा स्थान में बुध यंत्र रखें।
बुरी आत्माएं ऐसे आती हैं किचन /रसोईघर में —-
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु भूत-प्रेत एवं अदृश्य शक्तियों का कारक होता है। वास्तु विज्ञान के अनुसार राहु टूटे हुए दरवाजे, उखरे हुए प्लास्टर, दीवारों की दरारों, टूटी हुई वस्तुओं, फीकी पेंटिंग वाली दीवारों में, अंधेरे कोनों में रहता है। अगर किचन में किचन में बड़ा छज्जा निकला हुआ है और रोशनी कम है हो वहां भी राहु बैठा होता है। जहां राहु होता है वहां बुरी आत्माएं आसानी से अपना घर बना लेती हैं। किचन बहुत लम्बा और बड़ा हो लेकिन इसमें धुआं निकलने के लिए चिमनी की व्यवस्था नहीं हो तो धुआं घर में रह जाता है। इससे दीवारें काली पड़ने लगती हैं। किचन का रंग फीका होने पर बुरी आत्माओं को किचन में अपना प्रभाव जमाने का मौका मिल जाता है।
रसोईघर/किचन से ऐसे भगायें बुरी आत्माओं को—–
किचन में रोशनी का अच्छा प्रबंध करें ताकि कोई भी कोना अंधेरा नहीं रहे। धुआं निकलने के लिए चिमनी लगवाएं या अन्य कोई व्यवस्था करें ताकि धुआं किचन में नहीं रहे। वर्ष में कम से कम एक बार किचन की दीवारों पर सफेदी करवाएं। दीवारों में दरारें आने पर उसकी मरम्मत में देर न करें। किचन को हमेशा साफ रखें। रात में सोने से पहले किचन की साफ सफाई कर लें। झूठे बर्तन वॉश बेसिन में रात को नहीं छोड़े। सुबह और शाम में भोजन बनाने से पहले किचन में धूप दीप दिखायें।
विशेष ध्यान रखिये—
अगर किचन/रसोईघर बुरी आत्माओं के प्रभाव में हो तो घर में रहने वाले लोग कभी खुश नहीं रहते। रोग उन्हें सदा घेरे रहता है तथा ऐसे घर में रहने वाले दंपत्ति के उपर मानसिक तनाव बना रहता है।
रसोई घर में अंधेरा हो और वह घर के दूसरे कमरों से बड़ा हो तो वह बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता है। यदि रसोई की दीवार टूटी-फूटी हो, क्रेक हो छत पर बहुत बड़ा छज्जा हो। रसोई घर में उचित रोशनी नहीं हो तो ऐसे स्थान पर बुरी आत्माएं स्थान पर बुरी आत्माएं अपनी जगह बना लेती हैं।
कुछ घरों में रसोई घर बहुत बड़ा और लंबा होता है। पूरा रसोई घर धुएं से काला हो जाता है।
ऐसा स्थान नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की संख्या नौ मानी गई है। ग्रहों का प्रभाव जिस तरह पृथ्वी के सभी जीवों पर पड़ता है।
घर की दक्षिण दिशा का स्वामी मंगल ग्रह होता है। घर में रसोईघर, इलेक्ट्रिक बोर्ड, खंभा व अन्य और जिस स्थान पर अग्रि का प्रयोग होता है। वहां मंगल का प्रभाव होता है।
इसका मुख्यकारण यह है कि मंगल को रसोई का कारक माना गया है। साथ ही मंगल को उग्रता व आग का प्रतीक माना जाता है। अग्रि का लाल रंग भी मंगल का ही रंग माना जाता है। इसीलिए रसोई घर में यदि पर्याप्त प्रकाश ना हो या रात के समय अंधेरा रखा जाता है या घर के अन्य कमरे से रसोई घर बड़ा हो तो घर के सदस्यों को आर्थिक व मानसिक दोनों ही तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसीलिए रसोई घर को हमेशा साफ-सुथरा और रोशनीदार रखना चाहिए।