आटे का चौमुखा दिया, 4 रुई की बत्ती,
सरसों का तेल, 1
नीबू, 7
लाल मिर्च, 7
लड्डू (बूंदी के),
2 लौंग, 2
बड़ी इलायची, केले का पत्ता ! शनिवार को सूर्यास्त के बाद सुनसान चौराहे पर जाकर पत्ते को रख दें और सब सामग्री को भी 1
– 1 करके रख दे फिर आटे के दीपक में 4 रुई की बत्तियां रखकर तेल डालकर चारो बत्तियो को जलाये व प्रार्थना करें !
जब घर से निकले तब यह प्रार्थना करें -” हे दुर्भाग्य, संकट,विपत्ती आप मेरे साथ चलें” और दीपक जलाने के बाद यह प्रार्थना करें कि- “मैं विदा हो रहा हूँ | आप मेरे साथ न आयें और यही पर रहे !” यह बोलकर वापस घर आ जाये , पीछे मुड़कर ना देखे !
भाग्य साथ ही नहीं देता है,
बल्कि दुर्भाग्य निरन्तर पीछा करता रहता है !
दुर्भाग्य से बचने के लिए या दुर्भाग्य नाश के लिए यहां एक
अनुभूत सरल तांत्रिक उपाय बताया गया हैं ! उपाय
लाभकारी है ! इसको बिना शंका के – पूर्ण आस्था के
साथ करने से दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य
वृद्धि होती है ! इस उपाय से चारों दिशाओ के रास्ते
खुल जाते हैं |